बिहार ने भूमि संबंधी रिकार्ड और नागरिक केंद्रित सेवाओं के डिजटिलीकरण में देश के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने खतियान जमाबंदी, नक्शा, डाटा एंट्री, सर्किल रेट, रजिस्ट्री फीस निबंधित दस्तावेजों की आपूर्ति आदि मूल्यांकन में मानक स्थापित किये हैं.
राज्य को राष्ट्रीय सूची में 23 वें स्थान से आठवें स्थान पर पहुंचा दिया है. भूमि संबंधी रिकार्ड और नागरिक केंद्रित सेवाओं के डिजिटिलीकरण का मूल्यांकन करने वाली संस्था नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाएड इकोनोमिक रिसर्च की सूची (एन-एलआरएसआइ 21) में बिहार का स्कोर 64.8 है. यह प्रगति 125 फीसदी है. यह उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है क्योंकि कि दूसरे नंबर पर रहा केरल 99.9 और तीसरे नंबर पर आये त्रिपुरा की प्रगति 69.9 फीसदी रही है.
बिहार के लिए सबसे बड़ा सुधार नक्शों के डिजिटलाइजेशन (स्पेटियल रिकार्ड) में हुआ है. इसमें 440 फीसदी की प्रगति की है. घर बैठे ऑनलाइन आवेदन और 150 रुपये में डाक से नक्शा उपलब्ध कराने से यह प्रगति मिली है. जमाबंदी, खतियान (टैक्सटुअल रिकार्ड) के डिजिटिलीकरण में 115 फीसदी की प्रगति है. दस्तावेजों की आपूर्ति की गुणवत्ता में भी 78 फीसदी प्रगति की है.
राज्य ने सभी 3.78 करोड़ जमाबंदी और 73086 नक्शा (कैडेट्रल मैप्स )को डिजिटल कर दिया गया है. पंजीकरण प्रक्रिया को रिकार्ड से जोड़ा गया है. लगान जमा करना, जमीन की रसीद कटवाना, म्यूटेशन ऑनलाइन किया जा रहा है. जमाबंदी पंजियों की 91.6 लाख त्रुटियों को ‘परिमार्जन’ के माध्यम से सुधारा गया है. गौरतलब है कि राज्य में जमाबंदी पंजियों के कंप्यूटरीकरण का काम भूमि सुधार विभाग ने जुलाई 2017 में ही शुरू किया था.
यह उपलब्धि खुशी देने वाली है. इसे हासिल करने के लिए प्रत्येक सप्ताह दो दिन की गहन निगरानी की जाती है. बीते छह महीने के दौरान 7000 से अधिक मामले में 95 फीसदी को पूरा किया गया. जरूरत के अनुसार सभी को प्रशिक्षण दिया गया. इन सबसे ऊपर यह मुख्यालय और क्षेत्र में ठोस टीम वर्क का प्रयास से मिली उपलब्धि है.
विवेक कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
Posted By: Thakur Shaktilochan