बिहार में शिक्षक पात्रता परीक्षा को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अब इसे खत्म कर दिया है. यहां अब केंद्र सरकार की तरफ से होने वाले सीटीइटी परीक्षा से ही शिक्षक बनेंगे. शिक्षा विभाग ने फिलहाल राज्य में होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) आयोजित नहीं कराने का फैसला लिया है. शिक्षा विभाग ने तर्क दिया है कि केंद्र सरकार की तरफ से नियमित रूप से सीटीइटी करायी जा रही है. इसलिए विभाग को टीइटी कराने की जरूरत नहीं है.
इस तरह प्रारंभिक स्कूलों के शिक्षकों के लिए प्रस्तावित सातवें चरण के शिक्षक नियोजन में अब तक टीइटी और सीटीइटी पास अभ्यर्थी ही पात्र माने जायेंगे. प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश की तरफ से जारी आधिकारिक पत्र में बताया गया है कि भविष्य में आवश्यकता आधारित शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने पर शिक्षा विभाग विचार कर सकता है.
प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश ने इस संदर्भ में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष सचिव को पत्र लिखा है. पत्र में लिखकर बताया है कि वर्तमान में शिक्षा विभाग शिक्षक पात्रता परीक्षा कराने की आवश्यकता महसूस नहीं कर रहा है. पत्र में प्राथमिक निदेशक ने बताया कि विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस संदर्भ में निर्णय लिया गया है.
बिहार पंचायत प्रारंभिक विद्यालय सेवा (नियुक्ति, प्रोन्नति, स्थानांतरण, अनुशासित कार्यवाही एवं सेवा शर्त ) नियमावली-2020 में किए गये प्रावधानों के तहत शिक्षक नियुक्ति के लिए निर्धारित अर्हता में केंद्र अथवा बिहार सरकार की शिक्षक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्णता प्राप्त होना शामिल है. इससे पहले उच्च न्यायालय पटना की तरफ से पारित न्यायादेश के क्रम में प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए निर्णय की अपेक्षा कर रखी है.
विभाग फिलहाल नयी टीइटी नहीं करायेगा. जानकारों के मुताबिक सीटीइटी साल में दो बार आयोजित की जा रही है. सीटीइटी और टीइटी उत्तीर्ण तीन लाख अभ्यर्थी अभी भी शिक्षक बनने के इंतजार में बैठे हुए हैं.
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