11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार में जलवायु के अनुसार खेती के लिए पांच वर्षों की योजना स्वीकृत : कृषि मंत्री

बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने शनिवार को कहा कि सरकार द्वारा राज्य में कृषि रोड मैप के अंतर्गत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम वित्तीय वर्ष 2019-20 से वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 5 वर्षों के लिए कुल 6065.50 लाख रुपये की लागत पर योजना के कार्यान्वयन की स्वीकृति प्रदान की गयी है. बिहार राज्य में इस योजना का कार्यान्वयन वर्ष 2019-20 से किया जा रहा है. जिसके उत्साहवर्द्धक परिणाम आये हैं.

पटना : बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने शनिवार को कहा कि सरकार द्वारा राज्य में कृषि रोड मैप के अंतर्गत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम वित्तीय वर्ष 2019-20 से वित्तीय वर्ष 2023-24 तक 5 वर्षों के लिए कुल 6065.50 लाख रुपये की लागत पर योजना के कार्यान्वयन की स्वीकृति प्रदान की गयी है. बिहार राज्य में इस योजना का कार्यान्वयन वर्ष 2019-20 से किया जा रहा है. जिसके उत्साहवर्द्धक परिणाम आये हैं.

कृषि मंत्री ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 1091.30 लाख रुपये की लागत से बिहार राज्य में इस योजना का संचालन किया जायेगा, जिसकी स्वीकृति सरकार द्वारा प्रदान की गयी है. मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा इस योजना का क्रियान्वयन राज्य के चार संस्थानों यथा- बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूर्वी क्षेत्र, पटना के साथ समन्वय कर जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम कार्यान्वयन किया जा रहा है.

डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि इस परियोजना के माध्यम से राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक अनुभव का लाभ राज्य के किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत किसानों द्वारा पूरे वर्ष के लिए फसल योजना बनाकर काम किया जाता है. जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के प्रथम फेज में राज्य के आठ जिलों मधुबनी, खगड़िया, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नवादा, गया तथा नालन्दा जिलों में योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है. इसके अच्छे परिणाम आये हैं शीघ्र ही इस योजना को पूरे राज्य में विस्तारित किया जायेगा.

कृषि मंत्री ने कहा कि जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन एक विश्वव्यापी समस्या है. जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की अनियमितता सर्वविदित है. जलवायु परिवर्तन का असर पिछले कुछ वर्षों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होने लगा है. वर्षापात में कमी आयी है तथा मॉनसून का व्यवहार अत्यत ही असामान्य हो गया है.

उन्होंने कहा कि बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया (बीसा) के 150 एकड़ के फार्म में पूरे साल भर के अलग-अलग फसल चक्र अपनाकर एक साल में तीन फसले ली जा रही है. खेत को बिना जोते गेहूं की बुआई जीरो टिलेज अथवा हैप्पी सीडर से करते हैं. जलवायु के अनुकूल फसल तथा फसल प्रभेद के व्यवहार, लेजर लैण्ड लेवलिंग, हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज धान की सीधी बुवाई, रेज-बेड प्लानिंग, संरक्षित खेती, फसल अवशेष प्रबंधन/मल्चिंग तकनीक को प्रदर्शित किया जाता है जिसे किसान देखकर सीखते हैं. इस योजना में जलवायु परिवर्तन से संबंधित अनुसंधान कार्य भी किये जायेंगे. मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन के प्रति खेती को ढालने तथा इसके अनुकूल बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें