परिवहन विभाग सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कई विभागों के सहयोग से काम कर रहा है, ताकि दुर्घटनाओं का आंकड़ा कम हो सके.विभाग ने सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को अस्पताल तक पहुंचाने वाले एंबुलेंस को खर्च देने की योजना बनायी है.ऐसा करने से अज्ञात लोगों को भी सही समय पर अस्पताल पहुंचाना संभव होगा.
अधिकारियों के मुताबिक बिहार में सड़क दुर्घटना के बाद घायलों को अस्पताल पहुंचाने में देरी हो रही है. गोल्डेन पीरियड यानी समय रहते घायलों को अस्पताल में नहीं पहुंचाया जा रहा है. इस कारण देश में सबसे अधिक 72 फीसदी लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में बिहार में हो रही है. आंकड़ों के अनुसार बिहार में 10007 सड़क दुर्घटनाओं में 7205 लोगों की मौत हुई है, जो सबसे अधिक है. इसलिए विभाग की ओर से यह निर्णय लिया गया है.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से परिवहन विभाग ने राज्य के सरकारी व प्राइवेट एंबुलेंस का एक ही नंबर रखने का निर्णय लिया है. इस पर कॉल करने पर सरकारी हो या गैर सरकारी एंबुलेंस, पीड़ितों को सहायता पहुंचाने के लिए तुरंत घटनास्थल पर आयेंगे. सड़क दुर्घटना में हताहतों की संख्या को कम करने के लिए परिवहन विभाग ने ऐसा करने का निर्णय लिया है.
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राज्य में एडवांस लाइफ स्पोर्ट सिस्टम से तैयार 76 एंबुलेंस हैं. वहीं, बेसिक लाइफ स्पोर्ट सिस्टम से तैयार 976 एंबुलेंस हैं, जो राज्य की आबादी के हिसाब से कम हैं. यह सभी एंबुलेंस आपातकालीन नंबर से जुड़े हैं और हर दिन मरीजों को अस्पताल भी पहुंचा रहे हैं. हाल ही में सरकार ने कुछ और एंबुलेंस की खरीदारी की है और इसकी कुल संख्या 1200 हो चुकी है. वहीं, मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत भी एक हजार एंबुलेंस इस वर्ष दिसंबर तक सड़क पर आ जायेंगे, जिससे गांव के लोगों को शहर के अस्पतालों में आने में परेशानी नहीं होगी.
विभाग ने यह भी निर्णय लिया है कि कहीं से भी रोड एक्सीटेंड में घायल हुए व्यक्ति को कोई एंबुलेंस अस्पताल तक पहुंचाता है, तो एंबुलेंस का सारा खर्च विभाग की ओर से दिया जायेगा.
संजय कुमार अग्रवाल, सचिव, परिवहन विभाग.