बिहार का शिक्षा विभाग समग्र शिक्षा अभियान के तहत काम कर रहे शिक्षकों की सैलरी और दूसरे मदों पर जरूरी खर्च के लिए केंद्र से दूसरी किस्त मांगने जा रहा है. विभाग के वित्त विशेषज्ञों के मुताबिक लगभग तीन हजार करोड़ की राशि मांगी जा सकती है. दरअसल खर्च की गणना 19 जनवरी तक की जानी है. इसलिए मांगी जाने वाली प्रस्तावित राशि के बारे में सही-सही आकलन अभी बाकी है. 20 जनवरी को केंद्र के समक्ष इस राशि का प्रस्ताव भेजा जायेगा.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में केंद्र से पहली किस्त में रूप में मिली 1855 करोड़ की राशि खर्च कर ली है. दरअसल पहली किस्त के खर्च विवरण की स्वीकार्यता के बाद ही वह समग्र शिक्षा अभियान में मिली पहली किस्त के परिप्रेक्ष्य में 1236 करोड़ रुपये राज्य मद में मिले थे. जानकारी के मुताबिक राज्य और केंद्र मिला कर कुल करीब 3100 करोड़ रुपये की राशि में से अभी तक 2762 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है. दरअसल समग्र शिक्षा अभियान में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 60:40 के हिसाब से तय है.
गौरतलब है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के प्रोजेक्ट अप्रुवल बोर्ड (पीएबी) ने बिहार में सर्व शिक्षा अभियान के तहत शैक्षिक सत्र 2022-23 में कुल 9184 करोड़ के खर्च को मंजूरी दे दी है. स्वीकृत राशि में सबसे अधिक 3424 करोड़ शिक्षकों के वेतन के लिए है. गुणवत्ता शिक्षा के लिए 1938 करोड़, माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर लैब पर 1565 करोड़, जबकि राज्य के मध्य विद्यालयों में कंप्यूटर लैब की स्थापना पर 889 करोड़ खर्च करने का निर्णय लिया गया था.
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ दीपक कुमार सिंह ने बताया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य दूसरी किस्त मांगने जा रहा है. इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. किस्त की पहली राशि खर्च की जा रही है. हम अपनी पहले से अप्रूव कुल बजट में बची राशि मांगने जा रहे हैं. वहीं नये बजट की तैयारी अब शुरू की जायेगी.
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