30 C
Ranchi

BREAKING NEWS

लेटेस्ट वीडियो

बिहार में मौसम आधारित खेती के लिये सरकार खर्च करेगी 2.38 अरब रुपये, 30 और जिलों को किया गया शामिल

पटना: मौसम आधारित खेती के पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने पर अब सभी जिलों में जलवायु के अनुकूल कृषि की जायेगी. मौसम आधारित खेती अभी आठ जिलों में की जा रही थी. इस योजना पर सरकार तीस जिलों में पांच साल में करीब ढाई अरब रुपये खर्च करेगी. बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीसा) , डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूर्वी क्षेत्र, पटना इसमें तकनीकी मदद कर रहे हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पटना: मौसम आधारित खेती के पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने पर अब सभी जिलों में जलवायु के अनुकूल कृषि की जायेगी. मौसम आधारित खेती अभी आठ जिलों में की जा रही थी. इस योजना पर सरकार तीस जिलों में पांच साल में करीब ढाई अरब रुपये खर्च करेगी. बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीसा) , डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूर्वी क्षेत्र, पटना इसमें तकनीकी मदद कर रहे हैं.

30और जिलों को योजना में किया गया शामिल 

मौसम आधारित खेती के पहला चरण 2019-20 में शुरू हुआ था. इसमें मधुबनी, खगड़िया, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नवादा, गया तथा नालन्दा जिलों को शामिल किया गया था. इन जिलों में पांच साल के लिये 6065.50 लाख रुपये आवंटित किये गये थे. अब बाकी 30 जिलों में इस इस योजना के क्रियान्वयन के लिये वर्ष 2023-24 तक के लिए कुल 23,848.86 लाख रूपये की स्वीकृति दी गयी है.

मनीला – पेरू के वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श

अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, मनीला एवं अंतर्राष्ट्रीय आलू अनुसंधान संस्थान पेरू के वैज्ञानिकों के साथ हुए विचार-विमर्श किया गया है. फसल अवशेष प्रबंधन, धान एवं आलू से संबंधित तकनीकी हस्तक्षेप को इस योजना में शामिल किया गया है. दुनियाभर के वैज्ञानिकों की सलाह से किसानों की विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से मदद की जायेगी. बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया को नोडल एजेन्सी बनाया गया है.

किसानों को किया जा रहा प्रशिक्षित

150 एकड़ के फार्म में बीसा पूरे साल भर अलग- अलग तीन फसलें पैदा करती है. खेत को बिना जोते गेहूं की बुआई जीरो टिलेज अथवा हैप्पी सीडर से करते हैं. जलवायु के अनुकूल फसल तथा फसल प्रभेद के व्यवहार, लेजर लैण्ड लेवलिंग, हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज, धान की सीधी बुवाई, रेज-बेड प्लाटिंग, संरक्षित खेती, फसल अवशेष प्रबंधन को प्रदर्शित किया जाता है. किसान यह देखकर सीखते हैं.

आठ जिलों में चालू है योजना 

जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम का आठ जिलों को पांच वर्षों के लिए 6065.50 लाख रुपये की स्वीकृति मिली थी. इसके अच्छे परिणाम से उत्साहित होकर राज्य सरकार ने शेष 30 जिलों में भी इस योजना को लागू करने के लिये वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक के लिए 23,848.86 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई है.

डॉ प्रेम कुमार, कृषि मंत्री

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel