खेती में नयी तकनीक के हस्तांतरण को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने विभिन्न मॉडलों (प्रत्यक्षण कार्यक्रम)पर प्रोत्साहन राशि की दर को निर्धारित कर दिया है़. कृषि निदेशक आदेश तितरमारे की अध्यक्षता में यूनिट कॉस्ट कमेटी की बैठक हुई.
बैठक में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत क्रियान्वित किये जाने वाले मॉडल में लागत में वृद्धि दर का समावेश कर दिया गया है, यानी अब प्रत्यक्षण कार्यक्रम में चयनित किसानों को कुल लागत पर कमेटी द्वारा सब्सिडी दी जायेगी़
कृषि विभाग करीब ढाई लाख एकड़ जमीन पर विभिन्न फसलों को विभिन्न विधि से पैदा कराता है़ इस प्रयोग के लिए किसानों का चयन किया जाता है़. सामान्य रूप से एक किसान से एक एकड़ में एक विधि से फसल पैदा करायी जाती है़. कृषि वैज्ञानिक और अधिकारियों की देखरेख में फसल होती है़. जुताई, बुआई, सिंचाई,उर्वरक आदि कितनी बार कितनी मात्रा में उपयोग किया जाना है यह सब वैज्ञानिक तय करते हैं. इस मॉडल के जरिये पता चलता है कि कौन- सी फसल से किस तरह कम- से- कम लागत में क्वालिटी के साथ अधिक- से- अधिक उत्पादन लिया जा सकता है़.
यूनिट कॉस्ट मॉडल (फसल वार) पर दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि की बात करें, तो चावल के मॉडल पर किसान को 3600 रुपये प्रति एकड़ अथवा नौ हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मदद मिलेगी़. बिना जुताई के गेहूं, अरहर, उड़द, उगाने पर भी यही राशि मिलेगी़. हाइब्रिड मक्का, सोयाबीन और गर्मी की मूंग के लिए सरकार किसान को 2400 रुपये प्रति एकड़ देगी़.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan