बिहार का हरित बजट पिछले साल की तुलना में 3.26 फीसदी हुआ कम, 2022-23 में घटकर हुआ 79255 करोड़
बिहार का तीसरा वित्तीय वर्ष 2022-23 का हरित बजट शीतकालीन सत्र में 16 दिसंबर को पेश किया गया है, लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में हरित बजट में थोड़ी कमी आयी है.
बिहार देश का पहला ऐसा राज्य है जो हरित बजट पेश करता रहा है. इससे विभागों द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए चलायी जा रही योजनाओं का क्रियान्वयन में मदद मिलती है. इस बजट की मदद से पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बजटीय प्रावधानों का अध्ययन एवं आकलन किया जाता है. राज्य सरकार जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए इस बजट पर फोकस कर रही है.
2022-23 में बजट घटकर हुआ 79255 करोड़
बिहार देश के उन गिने- चुने राज्यों में से एक है जो जलवायु परिवर्तन के हिसाब से कृषि को भी बढ़ावा दे रहा है. बिहार का तीसरा वित्तीय वर्ष 2022-23 का हरित बजट शीतकालीन सत्र में 16 दिसंबर को पेश किया गया है, लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में हरित बजट में थोड़ी कमी आयी है. हरित बजट के अंतर्गत चिह्नित विभागों की योजनाओं और कार्यक्रमों पर ही बजट आवंटन में थोड़ी कमी आयी है. वर्ष में 2021-22 में बजट 79359 करोड़ था जो 2022-23 में घटकर 79255 करोड़ हो गया है, जबकि कार्यक्रमों का कुल बजट आवंटन भी 29337 करोड़ से कम होकर 28380 करोड़ हो गया.
Also Read: बिहार को मिलेगी एक नए एक्सप्रेसवे की सौगात, 2023 में शुरू होगा रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे का निर्माण
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का सर्वाधिक बजटीय आवंटन हरित योजनाओं पर
हरित बजट में स्कीम मदों में सर्वाधिक आवंटन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिेवर्तन विभाग द्वारा किया जाता है. चालू वित्तीय वर्ष में इस विभाग में स्कीम मद का आवंटन 663 करोड़ में से हरित योजनाओं के लिए 655 करोड़ आरक्षित किया गया है. यह कुल स्कीम मद का 98.74 फीसदी है, जबकि इस मामले में गन्ना उद्योग विभाग दूसरे स्थान पर है विभाग में स्कीम मद का आवंटन 100 करोड़ था, जिसमें 98.70 करोड़ हरित योजनाओं के लिए आवंटित किया गया. वहीं ,तीसरे स्थान पर लघु जल संसाधन है जिसके स्कीम मद का कुल आवंटन 827 करोड़ में से हरित योजनाओं के लिए 796 करोड़ आवंटित किया गया है.