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बिहार में भी अब स्किन व हड्डी का हो सकेगा ट्रांसप्लांट, IGIMS पटना में बना राज्य का पहला बायोबैंक

पटना: बिहार में अब स्किन व बोन (हड्डी) का ट्रांसप्लांट भी संभव हो सकेगा. अब तक बिहार में मुख्य रूप से किडनी व कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही होते रहे हैं. लेकिन, आने वाले दिनों में बिहार के कई अस्पतालों में स्किन व बोन ट्रांसप्लांट शुरू हो सकता है. आइजीआइएमएस में खुलने वाले राज्य के पहले बायोबैंक के कारण यह सुविधा बिहार के मरीजों को मिलने की उम्मीद जगी है. इसका उद्घाटन आज होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | September 7, 2020 7:26 AM

पटना: बिहार में अब स्किन व बोन (हड्डी) का ट्रांसप्लांट भी संभव हो सकेगा. अब तक बिहार में मुख्य रूप से किडनी व कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही होते रहे हैं. लेकिन, आने वाले दिनों में बिहार के कई अस्पतालों में स्किन व बोन ट्रांसप्लांट शुरू हो सकता है. आइजीआइएमएस में खुलने वाले राज्य के पहले बायोबैंक के कारण यह सुविधा बिहार के मरीजों को मिलने की उम्मीद जगी है. इसका उद्घाटन आज होगा.

जले हुए मरीजों में स्कीन का होगा ट्रांसप्लांट

इस बायोबैंक में फिलहाल दान में मिली स्किन व बोन को रखने की सुविधा ही होगी. इन दोनों को रखने में इस्तेमाल होने वाल फ्रिजर बैंक को मिल चुका है. इस बैंक से वर्तमान में गंभीर रूप से जल चुके मरीजों को काफी फायदा होगा. मर चुके व्यक्ति से दान में मिली स्किन को इन मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा. इस ट्रांसप्लांट से मरीज अपनी जली हुई स्किन से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकता है. कुछ केस में मरीज की जान बचाने में भी यह ट्रांसप्लांट मदद कर सकता है.

हड्डी टूट कर चूर होने पर भी हो सकेगा ट्रांसप्लांट

वहीं, किसी दुर्घटना में अगर मरीज की हड्डी टूट कर चूर हो जायेगी, तो डॉक्टर यहां के बायोबैंक से संपर्क कर यहां से दान में मिली हुई हड्डी को लेकर मरीज में ट्रांसप्लांट कर सकेंगे. इससे मरीज की जान बचाने व उसे विकलांग होने से रोकने में मदद मिलेगी. इस तरह की सुविधा अब तक देश के चुनिंदा शहरों में ही उपलब्ध थी. अब पटना में बायोबैंक बनने से इसका लाभ राज्य के अस्पताल व मरीज उठा सकेंगे.

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आने वाले समय में दूसरे अंगों को भी रखा जा सकेगा

भविष्य में यहां किडनी समेत दूसरे अंगों को रखने की भी सुविधा उपलब्ध हो जायेगी. हर अंग के लिए अलग-अलग तापमान पर रखने का फ्रिजर होता है. आइजीआइएमएस में किडनी ट्रांसप्लांट होता है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि स्किन व बोन के बाद इस कड़ी में आने वाले दिनों में किडनी को यहां रखने की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी. इस बायोबैंक को नेशनल आर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन के सहयोग से बनाया गया है. राज्य का यह पहला बायोबैंक है. इसमे दान में मिले मानव अंगों को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

आइजीआइएमएस चिकित्सा अधीक्षक ने कहा 

आइजीआइएमएस में राज्य का पहला बायोबैंक बनाया गया है. इसमें फिलहाल स्किन व बोन को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की सुविधा होगी. इससे राज्य में स्किन व बोन ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो सकेगी.

डाॅ मनीष मंडल, चिकित्सा अधीक्षक, आइजीआइएमएस

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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