पटना. इलाज और पढ़ाइ के मामले में बिहार पांच साल बाद 2027 में विकसित राज्यों की कतार में खड़ा दिखेगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार किये जा रहे रोड मैप का खाका अंतिम चरण में हैं. इसमें अगले पांच सालों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या, ग्रामीण क्षेत्र में अस्पतालों की संख्या, राष्ट्रीय कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार और स्वास्थ्य मानकों में सुधार करने का लक्ष्य निर्धारित किया जाना है.
विभाग की कोशिश है कि पांच सालों के अंदर बिहार की स्वास्थ्य सेवाएं अग्रणी राज्यों के बराबर पहुंचाने की योजना है. राज्य में अगले पांच सालों में बाधा नहीं आयी तो 13 नये मेडिकल कॉलेज अस्पतालों का निर्माण हो जायेगा. कोशिश है कि वर्ष 2027 में राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 25 हो जाये. इसके साथ ही औसतन हर मेडिकल कॉलेज में 150-150 एमबीबीएस सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया आरंभ हो जाये.
राज्य सरकार की ओर से हर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुल 657 पदों के सृजन की भी करने जा रही है. इसके अलावा इस दौरान 54 एएनएम ट्रेनिंग संस्थान, 23 जीएनएम ट्रेनिंग संस्थान, 33 पारा मेडिकल संस्थान, 16बीएससी नर्सिंग संस्थान की स्थापना की जानी है. साथ ही राज्य में इस दौरान 1250 स्वास्थ्य उपकेंद्रों की स्थापना और 243 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना करने की दिशा में कार्ययोजना तैयार होगी. राज्य में सामान्य चिकित्सा पदाधिकारियों के स्थायी पद 12895 हैं जिनमें अभी करीब आधे पद रिक्त है.
संविदा वाले चिकित्सकों के 4751 पद स्वीकृत हैं जिनमें 3030 पर ही चिकित्सक काम कर रहे हैं. इसी प्रकार से ग्रेड ए नर्स की 15613 पदों में 35 प्रतिशत पद रिक्त हैं जबकि कंट्रेक्ट की 4942 पदों में 91 प्रतिशत पद रिक्त हैं. यही स्थिति एएनएम की स्वीकृत 29479 पदों में 40 प्रतिशत पद रिक्त है. इसी प्रकार से रोडमैप में मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, नवजात मृत्यु दर, संपूर्ण टीकाकरण, राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रमों जैसे मानकों में सुधार की कार्ययोजना तैयार होगी.
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संस्थान – वर्तमान स्थिति – वर्ष 2027 की स्थिति
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मेडिकल कॉलेज- 20 (12 सरकारी)- 25 सरकारी
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एमबीबीएस सीटें – 2540 – 4500 करीब
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चिकित्सकों के स्वीकृत पद- 18000 पद- अनुपलब्ध
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ए ग्रेड नर्स – 20000 – अनुपलब्ध
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सरकारी अस्पतालों में बेड- 10 हजार – 20हजार