कोरोना की आहट को देखते हुए बिहार का स्वास्थ्य विभाग भी चौकन्ना हो गया है. राज्य में अभी तक कोरोना के एक भी मरीज नहीं पाये गये हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग हेल्थ सिस्टम की फूलप्रूफ जांच के लिए 27 दिसंबर को मॉकड्रिल करने की तैयारी में जुट गया है. पीएचसी स्तर से लेकर मेडिकल कॉलेजों के साथ आइजीआइएमएस में भी कोरोना के इलाज को लेकर एक बार ट्रायल किया जायेगा. इसमें अगर किसी तरह की कहीं कमी पायी जाती है तो इसको दूर किया जायेगा.
कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए राज्य के सभी सदर अस्पतालों के लिए प्रति अस्पताल 40 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 60 डी टाइप ऑक्सीजन सिलिंडर, 10 बाइपैप मशीन, अनुमंडलीय अस्पतालों के लिए 25 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 35 डी टाइप ऑक्सीजन सिलिंडर, पांच बाइपैप मशीन, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और 20 बी टाइप ऑक्सीजन सिलिंडर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए पांच ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और 10 बी टाइप ऑक्सीजन सिलिंडर एवं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए दो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और दो बी टाइप ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध कराया गया था. साथ ही हेल्थ सब सेंटर को छोड़ सभी स्तर के अस्पतालों के वाह्य रोगी कक्ष में आवश्यकतानुसार पल्स ऑक्सीमीटर रखने का निर्देश दिया गया था. विभाग की ओर से गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता पल्स ऑक्सीमीटर से लोगों के ऑक्सीजन की परिपूर्णता मापने का काम सौंपा गया था.
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इसके अलावा केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य के 119 स्थानों पर पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था. इसमें सभी मेडिकल काॅलेज अस्पताल, सभी सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं रेफरल अस्पताल शामिल थे. केंद्र की ओर से दूसरी लहर में बिहार को 150 ऑक्सीजन कांसेंट्रेटर (पांच एलपीएम), 90 डी टाइप ऑक्सीजन सिलिंडर और 212 बाइपैप मशीन एसिसरिज के साथ दिया गया था. राज्य सरकार द्वारा अपनी ओर से भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया है. इन सब की 27 दिसंबर को चेकलिस्ट के साथ जांच की जायेगी.