दुनिया में बजेगा बिहार के जल जीवन हरियाली प्रोजेक्ट का डंका, मिस्र में बताई जाएगी सफलता की कहानी
अंतरराष्ट्रीय मंच के माध्यम से बिहार की जल जीवन हरियाली योजना, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन पर जमीनी स्तर किये जा रहे काम, ईंट भट्ठों से उत्पन्न प्रदूषण खासकर कार्बन को न्यूट्रलाइज किये जाने, राज्य सरकार की जलवायु की अनुकूल नीतियों और पर्यावरण पर हो रहे अध्ययन की भी जानकारी दी जायेगी.
संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में मिस्र के शर्म-अल-शेख में छह नवंबर से शुरू हुए पर्यावरण सम्मेलन में बिहार दुनिया को जलवायु परिवर्तन से निबटने के गुर बतायेगा. यह सम्मेलन 18 नवंबर तक चलेगा. इसमें 198 देशों और प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधि पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से निपटने को लेकर मंथन कर रहे हैं. भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव कर रहे हैं. इसमें भाग लेने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ में बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी के साथ बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव एस चंद्रशेखर मिस्र गये हैं.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर जल जीवन हरियाली योजना की दी जाएगी जानकारी
अंतरराष्ट्रीय मंच के माध्यम से बिहार की जल जीवन हरियाली योजना, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन पर जमीनी स्तर किये जा रहे काम, ईंट भट्ठों से उत्पन्न प्रदूषण खासकर कार्बन को न्यूट्रलाइज किये जाने, राज्य सरकार की जलवायु की अनुकूल नीतियों और पर्यावरण पर हो रहे अध्ययन की भी जानकारी दी जायेगी. दरअसल, बिहार ग्रीन हाउस गैस इन्वेंट्री स्रोतों का दस्तावेजीकरण और उसके आकलन पर अध्ययन करने वाला भारत का पहला राज्य है. बिहार को यह मंच उपलब्ध करवाने में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसी) और केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का बड़ा योगदान है.
ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया जा रहा
राज्य सरकार बिहार को कार्बन प्रदूषण मुक्त राज्य बनाने की दिशा में विशेष रणनीति बनाकर काम कर रही है. ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया जा रहा है. ईंट भट्ठा क्षेत्र के प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण के अनुकूल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, ताकि वातावरण से कार्बन उत्सर्जन और कार्बन को अवशोषित करने के बीच संतुलन कायम किया जा सके. इसके लिए पिछले दो वर्षों से जमीनी स्तर पर प्राइमरी डेटा जुटाया जा रहा है. इन आंकड़ों का उपयोग ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए किया जा सकेगा. बिहार ने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन संयुक्त राष्ट्रसंघ पर्यावरण प्रोग्राम (यूएनइपी) के साथ एक भी समझौता किया है.
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कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य
मिस्र में हो रहे इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य जलवायु आपदा की ओर देश-दुनिया का ध्यान आकृष्ट करना और जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना है. इस अवसर पर बढ़ते वैश्विक तापमान, बेमौसम बाढ़ और सूखा, पानी की कमी, पैदावार में गिरावट, खाद्य असुरक्षा और जैव विविधता का ह्रास, प्रदूषण और बढ़ती गरीबी तथा विस्थापन से जूझती दुनिया को धरती की सुरक्षा के लिए एकजुट करना है.