BPSC ने 16 साल बाद बदली मेरिट लिस्ट, डिप्टी कलेक्टर बने कमिश्नर तो एसडीओ प्रशासनिक सेवा से हटाए गए…
पटना: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार लोकसेवा आयोग ने 2004 में आयोजित 45वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा की मेरिट लिस्ट बदल दी है. नयी मेरिट लिस्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले आवेदक बलदेव चौधरी को राज्य सरकार ने 29 नवंबर, 2011 के प्रभाव से उप समाहर्ता नियुक्त किया है.कोर्ट के निर्देश पर बीपीएससी ने पूर्व की मेरिट लिस्ट में बलदेव चौधरी का रैंक 96 से घटा कर चार पर आने की सूचना दी. इसके तहत सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें पटना हाइकोर्ट के डबल बेंच के फैसले की तिथि से उप समाहर्ता के पद पर नियुक्त करने का आदेश गुरुवार को जारी कर दिया.
पटना: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार लोकसेवा आयोग ने 2004 में आयोजित 45वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा की मेरिट लिस्ट बदल दी है. नयी मेरिट लिस्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले आवेदक बलदेव चौधरी को राज्य सरकार ने 29 नवंबर, 2011 के प्रभाव से उप समाहर्ता नियुक्त किया है.कोर्ट के निर्देश पर बीपीएससी ने पूर्व की मेरिट लिस्ट में बलदेव चौधरी का रैंक 96 से घटा कर चार पर आने की सूचना दी. इसके तहत सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें पटना हाइकोर्ट के डबल बेंच के फैसले की तिथि से उप समाहर्ता के पद पर नियुक्त करने का आदेश गुरुवार को जारी कर दिया.
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बलदेव चौधरी का रैंक अब बदला
बलदेव चौधरी के चौथे रैंक में आने के बाद इस परीक्षा से चयनित वीरपुर के एसडीओ सुभाष कुमार का क्रम मेरिट लिस्ट में नीचे आ गया. इससे उनकी सेवा बिहार प्रशासनिक सेवा से वापस लेकर उन्हें बिहार शिक्षा सेवा में योगदान करने को कहा गया है. अति पिछड़ी जाति से आने वाले बलदेव चौधरी का रैंक अब 45वीं संयुक्त परीक्षा की मेरिट लिस्ट में चौथा और बिहार प्रशासनिक सेवा की मेरिट लिस्ट में दूसरा निर्धारित किया गया है.
बलदेव चौधरी ने कहा…
गौरतलब है कि इस परीक्षा में बिहार प्रशासनिक सेवा दूसरे क्रम पर थी और इसमें सिर्फ 28 पद उपलब्ध थे.कोर्ट के फैसले पर संतोष जाहिर करते हुए बलदेव चौधरी ने कहा कि मैं अब नये पद पर ज्वाइन करूंगा. साथ ही मेरी नियुक्ति 2005 के प्रभाव से होनी चाहिए थी, जिस तिथि से 45वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के सभी सफल आवेदक नियुक्त हुए.
मेरिट लिस्ट में रैंक 96 से घटकर चार पर आया
बलदेव चौधरी की मेंस में सामान्य अध्ययन-2 की उत्तर काॅपी को रद्द कर दिया गया था. आयोग का आरोप था कि बलदेव ने उक्त काॅपी पर अपनी पहचान के लिए कोई चिह्न अंकित किया है. वहीं, चौधरी का तर्क था कि यदि पहचान बताने के लिए कोई चिह्न देता तो सभी विषयों की काॅपियों में वह होता. कोर्ट ने बलदेव के तर्क को सही माना. पहले पटना हाइकोर्ट की एकलपीठ ने उनके पक्ष में निर्णय दिया.
बलदेव के पक्ष में आए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया आयोग
आयोग ने डबल बेंच में चुनौती दी. 29 नवंबर, 2011 को वहां भी बलदेव के पक्ष में ही फैसला आया. आयोग इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया. सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके तहत बलदेव के पूर्व के प्राप्तांक 728 में सामान्य अध्ययन -2 के 111 और इंटरव्यू के 81 अंक को जोड़ने का आदेश दिया. इस प्रकार बलदेव को कुल 920 अंक मिले और उनका रैंक 96 से घट कर चार पर आ गया. श्री चौधरी का वेतन उनके पदभार ग्रहण करने की तिथि से मान्य होगा. वह फिलहाल दरभंगा में वाणिज्यकर विभाग में पदाधिकारी हैं.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya