फर्जी डिग्री लेकर बिहार में जूनियर इंजीनियर बनने पहुंच गए दर्जनों अभ्यर्थी, दो महिला समेत 9 धराए
बिहार में जूनियर इंजीनियर बनने के लिए दर्जनों अभ्यर्थी जाली डिग्री लेकर पहुंच गए थे. इनमें 9 अभ्यर्थियों को पकड़ लिया गया. जानिए किस तरह ये जालसाजी करके नौकरी लेने पहुंचे थे...
बिहार के विभिन्न सरकारी विभागों में जूनियर इंजीनियर की बहाली प्रक्रिया के दौरान नौ अभ्यर्थियों को जालसाजी मामले में पकड़ा गया है. इन अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के दौरान फर्जी डिग्री देने और प्रमाण पत्रों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में पकड़ा गया. सचिवालय थाना में इनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया. इनमें दो महिला उम्मीदवार भी शामिल हैं. वहीं दस्तावेज सत्यापन के दौरान पहले ही कई अभ्यर्थियों ने खुद ही स्वीकार कर लिया कि उनके दस्तावेज जाली हैं. उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली.
बीटीएससी कार्यालय में हो रहा दस्तावेज सत्यापन
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब बिहार तकनीकी सेवा आयोग के जरिये 2019 के विज्ञापन के जरिये फिर एकबार जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. तीन महीने के अंदर बीटीएससी को अभ्यर्थियों की नयी सूची जारी करने का निर्देश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है. इस प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गयी है और 29 और 30 नवंबर को आयोग कार्यालय में अभ्यर्थियों के दस्तावेज सत्यापन किए जा रहे हैं.
ALSO READ: Bihar Weather: क्या भागलपुर में दिखेगा तूफान फैंगल का असर? जानिए 4 दिसंबर तक कैसा रहेगा मौसम…
जाली डिग्री लेकर आए अभ्यर्थी धराए
शुक्रवार को जब अपने-अपने दस्तावेजों को लेकर अभ्यर्थी आए तो इनमें बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी भी शामिल थे जो अपने साथ फर्जी डिग्री लेकर आए थे. कई अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट पर छेड़छाड़ किए हुए थे. ओवरराइटिंग साफ दिख रहा था. इस दौरान 9 अभ्यर्थियों को पकड़ा गया जो जाली सर्टिफिकेट लेकर आ गए थे. इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं. उप सचिव के आवेदन पर इन अभ्यर्थियों के खिलाफ पटना के सचिवालय थाना में केस भी दर्ज कर लिया गया. आयोग के संयुक्त सचिव ने कहा कि कई अभ्यर्थियों ने इससे पहले खुद अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और स्वीकार लिया कि उनके प्रमाण पत्र फर्जी हैं. आयोग ने उन्हें सत्यापन स्थल से बाहर जाने की अनुमति दे दी.
इन पर दर्ज की गयी प्राथमिकी
- पचरूखी, सिवान के नीतीश कुमार सिंह एक ही सत्र में डिप्लोमा और बीएससी (ऑनर्स) कर गए.
- अमरपुर, लखीसराय के मणिकांत कुमार को प्रमाण पत्र देने वाला संस्थान अस्तित्व में ही नहीं है.
- खुदाबंदपुर, बेगूसराय के मो फैजूद्दीन चार विज्ञापनों में आवेदक हैं और सभी में प्रमाण पत्र अलग-अलग दिए गए हैं.
- बेगूसराय के राजेश कुमार के प्रमाण पत्र को मानव भारती विवि ने फर्जी बताया.
- मानव भारती विवि के अनुसार परसा बाजार, पटना की मोनिका कुमारी का प्रमाण पत्र फर्जी है.
- झखराही, सुपौल की प्रियंका कुमारी ने ओपीजीएस विवि का मूल प्रमाण पत्र प्रिंट करके बनवा लिया.
- मथुरापुर, समस्तीपुर के दिलीप कुमार चौधरी ने स्वामी विवेकानंद विवि का फर्जी प्रमाण पत्र दिया.
- पंडोल, मधुबनी के मनीष कुमार ने स्वामी विवेकानंद विवि का फर्जी प्रमाण पत्र दिया.
- अभिषेक कुमार सिंह के प्रोविजनल डिप्लोमा सर्टिफिकेट में छेड़छाड़ था. ओवरराइटिंग की गयी थी.