चुनाव पेज के लिए,पुलिस अधिकारियों को भाती रही है चुनावी जमीन,कोई मंत्री बने तो कोई बीच से निकल लिये

पुलिस अधिकारियों को भाती रही है चुनावी जमीन,कोई मंत्री बने तो कोई बीच से निकल लिये

By Prabhat Khabar News Desk | May 22, 2024 1:25 PM

संवाददाता,पटनापुलिस अधिकारियों को चुनावी राजनीति भाती रही है. पटना से जुड़े दर्जन भर ऐसे पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने राजनीति में अपना सिक्का जमाया. कुछ बहुत दूर चले तो कुछ तत्काल ही वापस लौट गये. फिलहाल पटना के पूर्व एसएसपी बीडी राम झारखंड से लोकसभा के चुनाव लड़ रहे हैं. अविभाजित बिहार में पटना और टाटानगर के एक पूर्व एसपी अजय कुमार टाटानगर से सांसद बने. अभी उनकी गिनती झारखंड में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में होती है. पटना के एक अन्य एसएसपी सुनील कुमार मौजूदा बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री हैं. रिटायर होने के तत्काल बाद उन्होंने राजनीति में शामिल होना वीकार किया और जदयू से विधायक बन मंत्री बने. पूर्व डीजीपी डीपी ओझा, आशीष रंजन सिन्हा और आरआर प्रसाद ने चुनावी राजनीति में किस्मत आजमाया. वहीं गुप्तेश्वर पांडेय डीजीपी का पद छोड़ जदयू में शामिल ताे हुए पर, इसके आगे वो नहीं बढ़ सके. बाद में उन्होंने पूजा पाठ और धर्म प्रवचन में अपने को रमा लिया. इनके अलावे अविभाजित बिहार के आइजी स्तर के अधिकारी रामेश्वर उरांव झारखंड की राजनीति में वर्षों से जमें हैं. दूसरे डीजी स्तर केअधिकारी अशोक कुमार गुप्ता बिहार में राष्ट्रीय जनता दल से जुड़कर सक्रिय राजनीति में अपनी भूमिका निभा रहे. श्री गुप्ता फिलहाल बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में आम लोगों के प्रति राजद की रूझान तैयार कर रहे हैं.

बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार 1988 बैच के आइपीएस अधिकारी रहे हैं. वे पटना में 1997 से 2003 तक एसएसपी केपद पर रहे. डीजी स्तर के पद से रिटायर होने के बाद उन्होने राजनीति में अपना योगदान दिया. 1990 के दशक में पटना में अपराधियों पर कहर बन कर आये 1986 बैच के आइपीएस अधिकारी अजय कुमार ने राजनीति में भी खूब नाम कमाया. टाटा नगर से वे सांसद बने. अपनी पार्टी बनायी. फिलहाल उनका नाम कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार है. बक्सर जिले के मूल निवासी विष्णुदयाल राम 1973 बैच के आइपीएस अधिकारी रहे हैं. वे पटना में 1980 के दशक में एसएसपी के पद पर रहे. झारखंड के अलग हो जाने के बाद उनकी सेवा झारखंड चली गयी. वे सांसद बने और इस बार भी लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार हैं. 1972 बैच के आइपीएस अधिकारी रामेश्वर उरांव बिहार में आइजी स्तर के अधिकारी रहे. झारखंड सरकार में वाणिज्यकर विभाग के वे मंत्री हैं.

ललित विजय सिंह केंद्र में बने थे मंत्री, आशीष व डीपी ओझा भी लड़े थे चुनाव

इसके पहले 1972 बैच के आइपीएस अधिकारी आशीष रंजन सिन्हा डीजीपी के पद से रिटायर होने के बाद राजनीति में अपना किस्मत आजमाया. वे 2014 में नालंदा लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. राज्य के पूर्व डीजीपी 1967 बैच के आइपीएस अधिकारी देवता प्रसाद ओझा ने भी रिटायर होने के बाद बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा. लेकिन,वो जीत नहीं पाये. इसके पहले 1956 बैच के आइपीएस अधिकारी ललित विजय सिंह सेवानिवृति के कुछ दिन पहले नौकरी छोड़ी. बेगूसराय लोकसभा सीट से 1989 में चुनाव लड़ा और सांसद बने तथा केंद्र में मंत्री पद को सुशोभित किया.

दिल्ली के पुलिस आयुक्त के बाद निखिल बने सांसद

भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे निखिल कुमार रिटायर होने के बाद बिहार के औरंगाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए. उनके पिता सत्येंद्र नारायण सिन्हा राज्य के मुख्यमंत्री रहे. माता किशोरी सिन्हा और पत्नी श्यामा सिंह भी सांसद रहीं.

रिटायर आइजी डीएन सहाय बने थे राज्यपाल

भारतीय पुलिस सेवा के रिटायर अधिकारी डीएन सहाय रिटायर होने के बाद कई राज्यों के राज्यपाल बने. अभी हाल में ही तमिलनाडु के दो पूर्व डीजीपी ने बिहार में राजनीति में शामिल होकर अपनी चुनावी आकांक्षाओं को उजागर किया. बीके रवि जहां कांग्रेस में शामिल हुए, वहीं करूणा सागर राजद के सदस्य बने. लेकिन,इस बार के चुनाव में दोनों को ही उम्मीदवार बनने का अवसर नहीं मिल पाया.

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