बिहार में किसानों के लिए सीएम नीतीश का ढाई अरब रुपये का प्लान, जानें मौसम आधारित खेती से किसानों को कैसे होगा लाभ

राज्य के सभी जिलों में मौसम आधारित खेती होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 14 दिसंबर (संभावित तिथि) को 30 जिलों में मौसम अनुकूल खेती का शुभारंभ करेंगे. राज्य के जिन आठ जिलों में इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था उन जिलों में दूसरे साल की खेती का शुभारंभ करेंगे. रबी के इस मौसम से योजना को शुरू करने के लिए हर जिले के पांच गांव का चयन कर कुल 625 एकड़ जमीन को तैयार किया गया है. कृषि विभाग ने जिलावार फसल कैलेंडर बनाया है. इस योजना पर पांच साल में करीब ढाई अरब रुपये खर्च होंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | December 13, 2020 9:07 AM

राज्य के सभी जिलों में मौसम आधारित खेती होगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 14 दिसंबर (संभावित तिथि) को 30 जिलों में मौसम अनुकूल खेती का शुभारंभ करेंगे. राज्य के जिन आठ जिलों में इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था उन जिलों में दूसरे साल की खेती का शुभारंभ करेंगे. रबी के इस मौसम से योजना को शुरू करने के लिए हर जिले के पांच गांव का चयन कर कुल 625 एकड़ जमीन को तैयार किया गया है. कृषि विभाग ने जिलावार फसल कैलेंडर बनाया है. इस योजना पर पांच साल में करीब ढाई अरब रुपये खर्च होंगे.

एक एकड़ में खेती के लिए किसान को 35 सौ रुपये देगी सरकार

एक एकड़ में खेती के लिए किसान को 35 सौ रुपये सरकार देगी.यानी सरकार खर्च करेगी और मुनाफा किसानों का होगा. किसानों की आय दोगुनी करने और खेती के विकास के लिए सरकार बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीसा), डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूर्वी क्षेत्र, पटना की तकनीकी मदद से मौसम आधारित खेती की जा रही है.

पहली फसल के कटने के 15 दिन बाद ही दूसरी फसल

मौसम आधारित खेती की खास बात यह है कि खेतों की जुताई किये बिना किसान पूरे साल फसल लेंगे. पहली फसल लेने के 15 दिन बाद दूसरी फसल की बुआई कर देंगे. पुआल का प्रबंधन साथ होगा. योजना का पहला चरण 2019-20 में शुरू हुआ था. इसमें मधुबनी, खगड़िया, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नवादा, गया तथा नालंदा जिलों को शामिल किया गया था. इन आठ जिलों में पांच साल के लिए 6065.50 लाख रुपये आवंटित किये गये थे. अब बाकी 30 जिलों में इस इस योजना के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2023-24 तक के लिए कुल 23,848.86 लाख रुपये की स्वीकृति दी गयी है.

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दुनियाभर के वैज्ञानिकों की सलाह

अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, मनीला एवं अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान संस्थान पेरू के वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श किया गया है. फसल अवशेष प्रबंधन, धान एवं आलू से संबंधित तकनीकी हस्तक्षेप को इस योजना में शामिल किया गया है. दुनियाभर के वैज्ञानिकों की सलाह से किसान विज्ञान केंद्रों के माध्यम से मदद की जायेगी. बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया को नोडल एजेंसी बनाया गया है.

कौन कृषि संस्थान किस जिला को देगा तकनीकी मदद

बिहार कृषि विवि को जहानाबाद, बांका, मधेपुरा, सुपौल, पटना, भोजपुर, रोहतास, बक्सर, कैमूर, औरंगाबाद, अरवल, सहरसा, भागलपुर, खगड़िया, अररिया, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई, आरएयू को मुजफ्फरपुर,सीवान, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, गोपालगंज,दरभंगा, पूर्वी चंपारण, सारण, पश्चिमी चंपारण और बेगूसराय, बीसा- पूर्णिया, नवादा, मुंगेर, कटिहार, समस्तीपुर, नालंदा, वैशाली और आइसीएआर पर दो जिलाें गया और बक्सर की जिम्मेदारी है.

साल भर का फसल कैलेंडर

1.अरहर-मक्का

2 .धान-गेहूं- परती,

3 . धान- गेहूं- मूंग

4. धान-मक्का-परती

5. धान-चना- मसूर

6.सोयाबीन-मक्का

7. धान-आलू-सूरजमुखी

8.धान-सरसों- मूंग

9. धान-आलू-मक्का

10. मक्का-सरसों- मूंग

11. मक्का-गेहूं-मूंग

12. रागी-मसूर-सोयाबीन

13.सोयाबीन-गेहूं-मूंग

14. बजरा-मसूर-मूंग

15. बाजरा-खेसारी-परती

Posted By: Thakur Shaktilochan

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