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Bihar: विश्वविद्यालयों को आंखमूंद कर पैसा नहीं देंगे केके पाठक, बजट की समीक्षा के लिए बुलाई बैठक

Bihar: शिक्षा विभाग के अवर मुख्य सचिव केके पाठक अब विश्वविद्यालयों को आंखमूंद कर पैसा नहीं देंगे. शिक्षा विभाग ने बजट की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई है. विभाग के इस फैसले से वेतन मद की राशि निर्गत होने में देरी होगी.

By Ashish Jha | May 12, 2024 1:01 PM
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Bihar: पटना. केके पाठक अब विश्वविद्यालयों को आंखमूंद कर पैसा नहीं देगा. शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट को स्वीकृति देने की कार्रवाई करने के पहले इसकी समीक्षा करने का निर्णय लिया है. इसको लेकर विभाग 29 मई तक अलग-अलग विश्वविद्यालयों के प्रस्तावित बजट की समीक्षा करेगा. इसके बाद ही वेतन-पेंशन की राशि जारी की जायेगी. कहने को तो कोर्ट के आदेश पर विभाग ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों समेत विभिन्न पदाधिकारियों के वेतन पर लगी रोक को भी हटा दिया है, लेकिन खातों पर लगी रोक हटने के बाद भी राशि के अभाव में वेतन-पेंशन अभी नहीं मिल सकेगा.

वित्त विभाग से ली जाएगी स्वीकृति

विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों के द्वारा भेजे गये प्रस्तावित बजट की समीक्षा के बाद इसे अंतिम रूप देगा. इसके बाद इस बजट पर वित्त विभाग की स्वीकृति ली जाएगी. पदाधिकारी बताते हैं कि वित्त विभाग के द्वारा बजट की स्वीकृति प्रदान किये जाने के बाद ही विश्वविद्यालयों को राशि भेजी जाएगी. विभाग ने बजट की समीक्षा के लिए अलग-अलग दिन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और अन्य पदाधिकारियों को विभागीय सभागार में बुलाया है. 15 मई को केएसडीएस दरभंगा और अरबी-फारसी विश्वविद्यालय की बैठक होगी. इसी प्रकार 16 को पूर्णियां और मुंगेर विश्वविद्यालय, 21 को मधेपुरा और मगध, 22 को वीर कुंवर सिंह और तिलकामांझी भागलपुर, 24 को बीआरए मुजफ्फरपुर और पटना, 28 को पाटलिपुत्र और जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा तथा 29 मई को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा की बैठक होगी.

फरवरी से नहीं मिला है वेतन

जानकारी के अनुसार बिहार के ज्यादातर विश्वविद्यालयों में फरवरी माह से ही वेतन भुगतान नहीं हुआ है. विभाग के इस फैसले के बाद विश्वविद्यलायों और महाविद्यालयों के शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतन के लिए अभी और इंतजार करना होगा. बताया जाता है कि फरवरी, 2024 के बाद शिक्षा विभाग की ओर से वेतन और पेंशन मद में कोई भी राशि विश्वविद्यालयों को नहीं भेजी गयी है. वहीं, दूसरी ओर विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में बड़ी संख्या में ऐसे भी शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी हैं, जिनका वेतन जनवरी माह से ही नहीं मिला है. बिहार में करीब 15 हजार शिक्षक और कर्मी का वेतन पिछले चार माहस से नहीं मिल पा रहा है. इन लोगों को वेतन कब तक मिलेगा इसको लेकर भी विभाग या विश्वविद्यालय प्रशासन कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.

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