जमीन जमाबंदी की डिजिटाइजेशन को लेकर सरकार करा रही ये काम, नहीं किया है तो करा लें फटाफट
Land digitilization जमीन के दस्तावेजों के डिजिटाइजेशन के दौरान कोई गड़बड़ी हो गई है तो टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं सरकार कैंप लगाकर इसको ठीक करवा रही है.
Land digitilization राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग रैयत को अपने नाम, पिता के नाम, जाति के साथ पता में हुई त्रुटि, डिजिटाइज्ड जमाबंदी में दर्ज खाता, खेसरा, रकबा एवं चौहद्दी की गलती या प्रविष्टि का न होना एवं लगान संबंधी जानकारी में सुधार करवाने को लेकर मिशन मोड चला रही है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का उद्शेय जमाबंदियों के डिजिटाइजेशन एवं डिजिटाइज जमाबंदियों को त्रुटि रहित करना है. इसको लेकर अभियान अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान के तहत अब शिविर लगाकर मूल जमाबंदी के डिजिटाइजेशन या इसके आधार पर ऑनलाइन जमाबंदी को दुरूस्त किया जायेगा.
वह भी एक निश्चित समयावधि में. इसके लिए विभाग की ओर से युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा हैं. इस बात की जानकारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने दी. उन्होंने आगे कहा कि मिशन मोड के तहत तेजी से काम चल रहा है. इसकी अंतिम तिथि 15 मार्च, 2025 निर्धारित की गई है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने कहा कि सरकार ने कैंप में आने वाले रैयतों का मौजा की मूल जमाबंदी की स्कैंड और ऑनलाइन प्रति से मिलान कर उसको ठीक करने का निर्देश भी राजस्व कर्मचारियों को दिया गया है. जहां जमाबंदी स्कैंड नहीं हो पाया है वहां मूल प्रति से मिलान करने के बाद सभी भागों सहित पृष्ठवार सुधार करने को कहा गया है और मूल जमाबंदी में दर्ज रैयत या भूमि संबंधी विवरण को हूबहू ऑनलाइन करने को कहा गया है.
किसी भी स्थिति में मूल जमाबंदी में अंकित आकड़ों के अतिरिक्त कोई अन्य प्रविष्टि या सुधार या मूल जमाबंदी में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं करना है. सभी मौजा की सभी जमाबंदी को डिजिटाइज या उसके आधार पर ऑनलाइन जमाबंदी में सुधार मौजावार करना है. जमाबंदी में सुधार के लिए ई-जमाबंदी मॉड्यूल का इस्तेमाल किया जाएगा. शिविर का आयोजन समाहर्ता के निदेशानुसार किया जाएगा.
हल्का कर्मचारी को अपने हल्के के सभी मौजों में सुधार की जिम्मेदारी दी गई है. जो उनको उपलब्ध कराए गए लैपटॉप के जरिए किया जाएगा. शिविर की संख्या तथा शिविर का अंचल, हल्का या मौजा के साथ संबंद्धता का निर्णय जिला स्तर से किया जाएगा.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने इस संबंध में सभी समाहर्ताओं को एक पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि पूर्व में अगर परिमार्जन, परिमार्जन प्लस, दाखिल-खारिज या स्वतः संज्ञान होने पर अंचल अधिकारी के द्वारा ऑनलाइन जमाबंदी में सुधार किया जा चुका है तो मूल जमाबंदी से मिलान करते समय वैसी जमाबंदी में संशोधन नहीं करना है.
सचिव ने अपने निर्देश में कहा है कि विभाग इस उच्च प्राथमिकता के कार्य की निगरानी राजस्व से जुड़े सभी वरीय पदाधिकारी करेंगे. जमाबंदी में सुधार की संपूर्ण जिम्मेदारी राजस्व कर्मचारी एवं अंचल अधिकारी की होगी. भूमि सुधार उप समाहर्ताओं द्वारा आवश्यक सहयोग एवं निरीक्षण किया जाएगा. अपर समाहर्ता एवं समाहर्ता नियमित सीधी समीक्षा करेंगे और लापरवाही बरतने पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने ऑनलाइन जमाबंदियों के जल्द से जल्द त्रुटिरहित करने का निर्देश दिया है. उन्होंने साफ कहा कि भूमि सर्वे एवं बंदोबस्त कार्यक्रम में जमाबंदियों को परिमार्जित और डिजिटाइज्ड होना अति आवश्यक है. डिजिटली हस्ताक्षरित अधिकार अभिलेख देने की गुणवत्ता भी इस कार्य से जुड़ी हुई है.
जमाबंदी के जरिए भूमि का अंतरण पता चलता है. वर्ष 2017 में सबसे पहले सभी सदर अंचलों में ऑनलाइन जमाबंदी शुरू की गई थी, जिसे अक्टूबर, 2018 में पूरे बिहार के सभी अंचलों में लागू कर दिया गया था. उस दौरान कई प्रकार की त्रुटियां रह गई थीं. वर्तमान में विभाग की कवायद उन्हीं छूटी हुई और गलत ऑनलाइन की जमाबंदी में सुधार से संबंधित है.
वर्तमान में 4.39 करोड़ जमाबंदियों को ऑनलाइन किया जा चुका है. हालांकि विभाग द्वारा परिमार्जन एवं परिमार्जन प्लस पोर्टल के जरिए जमाबंदियों में त्रुटियों का निराकरण किया गया है लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में आमलोगों/रैयतों द्वारा जमाबंदी में त्रुटियों से संबंधित शिकायत पत्र दिए जा रहे हैं. इसे दूर करने के लिए विभाग ने यह कार्रवाई की है.
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