Bihar Land Survey: बिहार में लॉक होने जा रहा 31.6 लाख खाता खेसरा, जमीन सर्वे में आया लेटेस्ट अपडेट

Bihar Land Survey: पहले यह जुलाई 2025 थी. विशेष सर्वेक्षण 2020 में शुरू हुआ था और दिसंबर 2023 तक पूरा होना था, लेकिन इसमें बहुत प्रगति नहीं हुई. फिर इसे 2022 में शुरू किया गया, लेकिन धीमी गति और जटिलताओं के कारण इसे कई बार बढ़ाया गया. 2024 से इसमें तेजी आई है. राज्य में आखिरी कैडस्ट्रल सर्वेक्षण 1911 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था.

By Ashish Jha | February 6, 2025 10:25 PM

Bihar Land Survey: पटना. नीतीश सरकार ने सरकारी जमीन के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार ने भविष्य में किसी भी प्रकार के लेन-देन को रोकने के लिए राज्य भर में लाखों एकड़ सरकारी भूमि के स्वामित्व के विवरण (खाता/खेसरा) को लॉक करने की प्रक्रिया शुरू की थी. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) दीपक कुमार सिंह ने इस तथ्य की पुष्टि करते हुए कहा कि सत्यापन के बाद उपलब्ध सरकारी भूमि के बारे में वास्तविक तस्वीर सामने आएगी. उन्होंने कहा कि चूंकि पिछला सर्वेक्षण 70 साल पहले किया गया था, इसलिए सरकारी खेसरा के तहत आने वाली जमीन का एक बड़ा हिस्सा पिछले कुछ वर्षों में परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इसलिए, सत्यापन के बाद हमें पता चलेगा कि सरकार के पास कितनी जमीन बची है. घनी आबादी वाले बिहार में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए भूमि की उपलब्धता पिछले कुछ वर्षों से सरकार के लिए एक बड़ी बाधा रही है. इसके अलावा, भूमि सर्वे में मिली जमीन भूमिहीनों के बीच वितरण के लिए सरकारी भूमि भी उपलब्ध कराएगा.

अभिलेखों को डिजिटल रूप में रखने का निर्देश

विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि भूमि का उपयोग करने वाली सरकारी परियोजनाओं ने भी शायद म्यूटेशन नहीं करवाया है. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए विभागों को निर्देश देने के लिए इसकी भी जांच की जानी आवश्यक है. सरकारी जमीन पूरे राज्य में फैली हुई है और खेसरा की पहचान करने की पहली प्रक्रिया में अपेक्षित सफलता मिली है. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सत्यापन के दौरान अतिक्रमण या अवैध कब्जे का भी पता चलेगा, जिसके लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारियों को सरकारी भूमि को भू-माफियाओं से बचाने तथा अधिक पारदर्शिता के लिए सभी भू-स्वामित्व अभिलेखों को डिजिटल रूप में रखने के निर्देश दिए गए हैं. सरकारी भूमि की पहचान से राज्य को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और उद्योगों के लिए उनका उपयोग करने का अवसर मिलेगा.

जिला स्तर पर तालाबंदी

कुछ महीने पहले लाखों एकड़ संदिग्ध सरकारी भूमि के पंजीकरण को बंद करने पर सवाल उठने पर एसीएस ने कहा था कि ऐसा केवल उसी भूमि के मामले में किया जा रहा है, जो पिछले सर्वेक्षण में सरकार के पास दिखाई गई थी. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर तालाबंदी की जा रही है और जिला स्तरीय समिति आपत्तियों पर विचार कर रही है. भूमि अभिलेखों का उचित सत्यापन किया जाएगा. यदि किसी के पास वास्तविक दावा है, तो उसे भी निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से देखा जाएगा. एसीएस ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य वास्तविक लोगों की सुविधा के लिए भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण करना है, ताकि विवाद न हो – अपराध के पीछे यह एक प्रमुख कारण है, जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार उजागर करते रहे हैं. बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण पूरा करने की समय-सीमा एक वर्ष के लिए बढ़ा दी है, ताकि भूमिधारकों को बिना किसी असुविधा के अपने रिकॉर्ड और दस्तावेज सही करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके. अब सर्वे की अवधि जुलाई 2026 तक बढ़ा दी गई है.

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