Bihar Land Survey : बिहार के 45 हजार गांवों में 20 अगस्त से जमीन सर्वेक्षण का काम जारी है. जमीन सर्वेक्षण के दौरान लोगों ने कई तरह की परेशानियां झेली. विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे स्कैम बताया. तेजस्वी यादव हर मंच से इस योजना को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर दिखे. उनका कहना था कि सरकार ने इतना बड़ा काम बिना तैयारी के लिए शुरू कर दिया जिससे बिहार के लोग काफी परेशान हो रहे हैं. अब इस काम को शुरू हुए करीब एक महीने बीत चुका है. लगातार आ रही समस्याओं को देखते हुए सरकार ने जमीन के कागजात को ऑनलाइन अपलोड करने की समयसीमा बढ़ाकर तीन महीना कर दी गई है. सरकार के इस कदम से ऑनलाइन जमा किये गए कागजातों की जांच जनवरी 2025 से शुरू होने की संभावना है. जमीन से संबंधित दस्तावेजों को ऑनलाइन अपलोड करने की नवंबर अंत या दिसंबर तक सभी रैयतों को वक्त मिला है.
सबसे ज्यादा ऑनलाइन दस्तावेज जमा रोहतास से
राज्य में चल रहे जमीन सर्वे के लिए करीब 38 लाख लोगों ने प्रपत्र-2 भरकर स्वघोषणा दी है. इसमें करीब 25 लाख स्वघोषणा को सर्वे शिविरों में जाकर यानी ऑफलाइन और करीब 13 लाख ऑनलाइन दी गई है. रोहतास जिला में सबसे ज्यादा ऑनलाइन दस्तावेज जमा हुआ है, इस जिले के रैयतों ने 2 लाख 75 हजार फॉर्म ऑनलाइन जमा किये हैं. इसके बाद गया जिले का नंबर है जहां दो लाख, फिर दरभंगा में भी करीब दो लाख और समस्तीपुर जिले में 1 लाख फॉर्म ऑनलाइन जमा हुए हैं. लेटेस्ट अपडेट में बताया गया कि शिविरों में जमा कराए गए दस्तावेजों में करीब 20 लाख को स्कैन करके ऑनलाइन जमा कर दिया गया है. एक डेटा के मुताबिक बिहार में रैयतों की संख्या लगभग दो करोड़ है. इसमें से महज 38 लाख यानी 19 प्रतिशत रैयतों ने ही अब तक जमीन का हिसाब-किताब दिया है.
कितने फीसदी लोगों को आ रही दिक्कत मंत्री ने बताया
जमीन सर्वे के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस बारे में दिलीप जायसवाल ने कहा कि जिनके पास कागजात हैं उनका सर्वे चल रहा है और यह चलता रहेगा. राज्य में महज 12- 15 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं जिनको कागजात की दिक्कत हो रही थी. सरकार इनलोगों को आ रही परेशानी से वाकिफ है और इसके लिए चिंता कर रही है. कागजात सही करवाने के लिए किसानों को तीन महीने का समय दिया जा रहा है.
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