Bihar Land Survey: पटना. बिहार जमीन सर्वे में अब धीरे-धीरे गड़बड़झाला सामने आने लगा है. नयी इंट्री में भूमिहार की जगह उपनाम यादव कर देने का एक मामला प्रकाश में आया है. इसके साथ कई तरह की और गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. जमीन सर्वे में हुई गड़बड़ियों को लेकर जहानाबाद के पूर्व सांसद ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि उनकी जाति भूमिहार है, लेकिन नयी इंट्री में यादव बना दिया गया है. पूर्व सांसद की शिकायत पर सीएम सचिवालय तत्काल हरकत में आया है और राजस्व और भूमि सुधार विभाग को इसमें सुधार का निर्देश दिया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा पत्र
जहानाबाद के पूर्व सांसद जगदीश शर्मा घोसी प्रखंड के कोर्रा गांव के रहने वाले हैं. जगदीश शर्मा घोसी से 6 बार विधायक और जहानाबाद से एक बार सांसद रह चुके हैं. उनकी पत्नी शांति शर्मा और पुत्र राहुल शर्मा भी घोसी से एमएलए रह चुके हैं. ऐसे राजनीतिक दिग्गज के साथ जमीन सर्वे में इतनी बड़ी गलती से सभी हैरान हैं. सर्वे के अभिलेख में रैयत जगदीश शर्मा पिता स्व. कमाता शर्मा की जाति ग्वाला (यादव) दर्शाया गया है, जबकि पूर्व सांसद भूमिहार जाति से आते हैं. सर्वे के अभिलेख में जिले के नामचीन राजनीतिक हस्ती की गलती चर्चा का विषय बन गया है.
रैयतों से जमीन छीनने का चल रहा प्रयास
पूर्व सांसद जगदीश शर्मा ने सीएम को पत्र लिखकर जमीन सर्वे में कई खामियों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने पत्र में कहा है कि सर्वे के प्रथम चरण में अमीन ग्राम में जाकर एक-एक परिवार के साथ मिलकर उसके जमीन पर जाकर प्लॉट खाता की पहचान कर जमीन मालिक का नाम उसके समक्ष दर्ज करता तो गड़बड़ी की संभावना नहीं होती. उन्होंने पत्र में बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि जहानाबाद के हुलासगंज प्रखंड में नरमा, किसुनपुर, बिसुनपुर सहित कई गांवों में जमीन बकाश्त बताकर उसे रैयतों से छिनने का प्रयास चल रहा है.
बंदोबस्त जमीन की रसीद काटने का दिए सुझाव
पूर्व सांसद ने पत्र में कई जमीन सर्वे को लेकर कई सुझाव भी दिए हैं. उन्होंने कहा कि जिन रैयतों के पास बकाश्त एवं मालिक जमीन का कागज है, उसे उस रैयत के नाम कर अविलम्ब रसीद काटने का आदेश दिया जाए. कागजातों में त्रुटि निवारण के लिए तिथि निर्धारित कर एक-एक ग्राम में शिविर लगाकर स्थल पर ही निराकरण कराया जाए. पूर्व सांसद जगदीश शर्मा ने सर्वे में अपने साथ हुए घोर अनियमितता का जिक्र करते हुए कहा है कि इसका प्रमाण इस बात से हो जाता है कि जिले एवं प्रांत के चर्चित व्यक्ति की जाति ही बदल दी जाती है.