Bihar Land Survey: पटना. बिहार में सैन्य भूमि के स्वामित्व को लेकर स्थिति साफ कर दी गयी है. बिहार सरकार सैन्य भूमि का मालिकाना हक नहीं ले सकेगी. सैन्य भूमि की बंदोबस्ती बिहार के राज्यपाल के नाम नहीं होगी. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों को यह आवश्यक निर्देश दिए हैं. भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जे प्रियदर्शिनी ने 2 जनवरी 2025 को इस संबंध में सभी बंदोबस्त पदाधिकारी को पत्र लिखा है.
रक्षा मंत्रालय का एक नोडल अधिकारी होगा नामित
भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जे प्रियदर्शिनी ने अपने पत्र में सैन्य भूमि का विशेष सर्वेक्षण को लेकर निर्देश दिए गए हैं. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से कहा गया है कि सैन्य भूमि का विशेष सर्वेक्षण में अधिकार अभिलेख निर्माण के लिए विभागीय मंत्री के माध्यम से निदेशालय को पत्र मिला है. इसके पूर्व में रक्षा संपदा अधिकारी दानापुर छावनी ने सभी जिलों के समाहर्ता सह बंदोबस्त पदाधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा गया था. साथ ही रक्षा विभाग की तरफ से एक नोडल पदाधिकारी भी नामित किया गया है.
कैसरे-ए-हिंद के नाम पर होगा सैन्य भूमि का स्वामित्व
भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जे. प्रियदर्शिनी ने सभी बंदोबस्त पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि संबंधित सैन्य भूमि के स्वामित्व वाली भूमि के अधिकार अभिलेख निर्माण के लिए रक्षा विभाग द्वारा नामित नोडल पदाधिकारी से समन्वय स्थापित कर नियमानुसार कार्रवाई करें. साथ ही हर हाल में अपने जिले के अंतर्गत सैन्य भूमि का स्वामित्व कैसरे-ए-हिंद (भारत सरकार) के नाम से निर्धारित किया जाना सुनिश्चित करें.
एक साल के लिए बढ़ाया गया सर्वे का काम
बिहार में भूमि सर्वेक्षण (जमीन सर्वे) की प्रक्रिया की मियाद एक साल बढ़ा दी गई है. अब यह प्रक्रिया जुलाई 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है. पहले यह समय सीमा जुलाई 2025 तय की गई थी. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसकी घोषणा की है. इसके बाद भूमि सर्वेक्षण के कार्य में थोड़ी सुस्ती आ गई है. हालांकि, सर्वेक्षण के दौरान सरकारी भूमि के सर्वे को लेकर लगातार गाइडलाइन जारी किए जा रहे हैं.
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