Bihar Land Survey : बिहार भूमि सर्वे में कैथी के अनुवादक कर रहे खेला, रैयत से अधिकारी तक नहीं पढ़ पा रहे दस्तावेज

Bihar Land Survey : कहने को नवयुवकों में कैथी के अक्षर पढ़नेवाले हजारों की संख्या हैं, लेकिन जमीन के दस्तावेज पढ़ने में वो भी असमर्थ है. ऐसे में जमीन सर्वे के दौरान कैथी के जानकार बन कई लोग मोटा पैसा लेकर जो अनुवाद कर रहे हैं वो भविष्य में बड़े विवाद के कारण बन सकते हैं.

By Ashish Jha | September 9, 2024 11:07 AM

Bihar Land Survey : पटना. बिहार में चल रहे जमीन सर्वे में कैथी लिपि में लिखे गये दस्तावेज परेशानी और विवाद के कारण बन रहे हैं. बिहार भूमि सर्वे में लगे अधिकतर कर्मचारियों को कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है. रैयत भी अब इस लिपि को पढ़ने में असमर्थ हैं, ऐसे जमीन के दस्तावेज में लिखे गये तथ्यों की जानकारी पाना एक बड़ी समस्या बन गयी है. वर्तमान में जिले में इक्के-दुक्के लोग ही कैथी के जानकार रह गये हैं. जो रह गये हैं वे भी काफी वृद्ध हो गये हैं. कहने को नवयुवकों में कैथी के अक्षर पढ़नेवाले हजारों की संख्या हैं, लेकिन जमीन के दस्तावेज पढ़ने में वो भी असमर्थ है. ऐसे में जमीन सर्वे के दौरान कैथी के जानकार बन कई लोग मोटा पैसा लेकर जो अनुवाद कर रहे हैं वो भविष्य में बड़े विवाद के कारण बन सकते हैं.

नये अनुवादकों को पुराने दस्तावेज पढ़ने की क्षमता नहीं

बक्सर संग्रहालय के अध्यक्ष शिवकुमार मिश्र कहते हैं कि “कैथी” लिपि अपने जीवन-क्रम में स्वर्णकाल से गुजर चुकी, लेकिन जमीन सर्वे के दौरान कैथी एक बार फिर सूर्खियों में है. इस इलाके में पुराने अभिलेख और दस्तावेज कैथी लिपि में ही मिलते हैं. मुगल काल में भी यह शासकीय लिपि के तौर पर लागू रही. ब्रिटिश काल में तो इसे राजकीय लिपि का दर्जा प्राप्त था, लेकिन आजादी के बाद कैथी लिपि की ऐसी उपेक्षा हुई कि आज इस लिपि को पढ़नेवाले गिने चुने ही बच गये हैं. शिव कुमार मिश्र कहते हैं कि लोग कैथी के अनुवादक के रूप में कई ऐसे लोग बाजार में बैठ गये हैं, जो कैथी लिख तो लेते हैं, लेकिन पुराने कागजात पढ़ने की उनमें क्षमता नहीं है. ऐसे में जो उनको समझ में आता है वो लिखकर दे देते हैं. वो सही है या गलत इसकी जांच के लिए सरकार के पास कोई व्यवस्था नहीं है.

Also Read: Bihar Land Survey : जमीन सर्वे के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं, घर बैठे हो सकता है यह काम

बिहार सर्वे में कैथी लिपि के प्रति लोगों में बढ़ी जिज्ञासा

आजादी से पूर्व भारत खास कर कैथी लिपि का उपयोग प्रशासनिक, निजी और कानूनी बातें लिखने के लिए किया जाता था. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान तैयार किया गया सर्वे खतियान, रिटर्न, जमींदारी रसीद, बंदोबस्त पेपर की भाषा कैथी है. 60 के दशक तक कैथी जन-जन की लिपि थी, जो भारत के एक बड़े भू-भाग में प्रयोग में लाई जाती थी. अवधी, भोजपुरी, मगही, मैथिली, बंगला, उर्दू, हिन्दी, भाषाएं कैथी लिपि में भी लिखी जाती थी. आज वही लिपि सरकारी उदासीनता के कारण हाशिए पर ही नहीं, बल्कि काल के अतल गहराइयों में दब-सी गई है. जमीन सर्वे के बहाने ही सही सरकार के साथ-साथ लोगों को भी इस एतिहासिक लिपि के प्रति जिज्ञासा जगी है और उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस लिपि के विकास और संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठायेगी.

Next Article

Exit mobile version