Bihar Land Survey: पटना. बिहार सरकार ने बिना तैयारी के भूमि सर्वेक्षण-24 को लागू तो कर दिया, लेकिन अब सरकार के लिए ही यह गले की फांस बनती जा रही है. आपाधापी में शुरू हुए इस अभियान ने बिहार के गांव में भूचाल मचा रखा है. रैयत और सरकार दोनों के पास पूरे कागज नहीं हैं. रैयत सरकार से और सरकार रैयत से जमीन के कागजात मांग रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि न खतियान का नकल मिल रहा है, न रजिस्टर-2 ही सही सलामत है. रजिस्टर-2 के कई पन्ने गायब मिल रहे हैं. सबसे मुश्किल बेलगामी जमीन रखनेवाले रैयतों को हो रही है. उनके पास न खतियान है, न रजिस्टर-2 का पन्ना और क्योंकि उस जमीन का बंदोबस्ती रसीद नहीं होता है. ऐसे में उनके पास वो भी नहीं है. सर्वे को लेकर सरकारी नीतियों के खिलाफ लोगों में आक्रोश पनपने लगा है.
व्यवस्था के खिलाफ एकजुट हो रहे रैयत
अकेले सुपौल जिले में हजारों एकड़ ऐसी जमीन है जिनके कागजात न तो रैयत के पास है और न ही सरकार के पास. खतियान या अन्य कागजात लेने पहुंचे लोगों को बताया जा रहा है कि रजिस्टर-2 क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जो बचा है वह आधा-अधूरा और कटे- फटे स्थिति में हैं. जिले के अंदर बड़ी संख्या में लोगों के नाम जमाबंदी और रकवा का परिमार्जन, दाखिल-खारिज लंबित हैं. पुराने कागजात कैथी भाषा में रहने के कारण कोई समझने और समझानेवाला नहीं मिल रहा है. जमाबंदी के कागजात में प्लॉट नंबर है तो चौहद्दी और रकवा नहीं चढ़ा है. सर्वे शुरू हुआ तो अंचल कार्यालय में मनमानी बढ़ गई है. ऐसे में सभी रैयतों को एकजुता के साथ गोलबंद होना स्वभाविक है.
Also Read: Bihar Land Survey : जमीन सर्वे के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं, घर बैठे हो सकता है यह काम
रैयत सरकार से और सरकार रैयत से मांग रहे कागज
सुपौल में किसान मोर्चा के बैनर तले रैयतों को गोलबंद किया जा रहा है. अन्य जिलों में किसान आवश्यक कागजात जुटाने में परेशान हैं. किसानों का कहना है कि सरकार ने बिना तैयारी के इस काम को शुरू कर दिया है. न कर्मचारी को कैथी आती है और अमीन को जमीन नापी का प्रयाप्त प्रशिक्षण मिला हुआ है. सर्वे का काम शुरू हो जाने के बाद अब सरकार उन्हें प्रशिक्षण देने की बात कह रही है. यह काम सरकार को पहले करना चाहिए था. इस आपाधापी में जमीन जैसे गंभीर मसले पर काम कैसे हो पायेगा. जो सर्वेक्षण के दस्तावेज अंचल के कार्यालय में होना चाहिए, वे रैयतों से मांग करते हैं. इस सर्वे कार्य में लूट-खसोट पूरी तरह से हावी हो चुकी है.