पटना : कोरोना को नियंत्रित करने बिहार में लगातार प्रभावी रहे लॉकडाउन के चलते स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में करीब तीस फीसदी कटौती हो सकती है. इसमें किताबों में संशोधन नहीं होना है. केवल कुछ अध्याय छोड़े जा सकते हैं. हालांकि कक्षा 10वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम में एनसीइआरटी के दिशा-निर्देशों का पालन किया जा सकता है. जिसके आधार पर सीबीएसइ ने पाठ्यक्रम को इस सत्र के लिए संशोधित किया है. इस संदर्भ में शिक्षा विभाग लॉकडाउन के बाद कोई निर्णय लेगा. 10वीं और 12वीं कक्षाओं को छोड़कर शेष क्लासों के लिए संभवत: एससीइआरटी तैयारी कर रहा है. हालांकि इस कार्य में लॉकडाउन के कारण बाधा पहुंच रही है.
विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम किया जायेगा सीमित : कोरोना के मद्देनजर प्रभावी लॉकडाउन के चलते बेशक विश्वविद्यालय ऑनलाइन पढ़ाने का का दावा कर रहे हों, लेकिन सच्चाई यह है कि अधिकतर विश्वविद्यालय इस साल पाठ्यक्रम में कुछ चैप्टर को इस साल छोड़ सकते हैं. विश्वविद्यालय सूत्रों के मुताबिक इस मामले में अधिकतर विश्वविद्यालय अपना मन बना चुके हैं. लॉकडाउन के बाद संभवत: राजभवन से मार्ग दर्शन लिया जाये.
पटना. सीबीएसइ ने सभी स्कूलों ऑनलाइन क्लास पर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किया है. बोर्ड ने कहा है कि ऑनलाइन क्लास के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन किया जाना चाहिए. सीबीएसइ ने कहा है कि कोविड -19 के कारण किये गये लॉकडाउन के दौरान सभी स्टूडेंट्स के लिए शिक्षण जारी रखने के लिए विभिन्न माध्यमों को अपनाने के लिए कहा गया था.
लगभग सभी स्कूलों ने अपने तरीके से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की हैं, लेकिन कई लोगों ने ऐसी कक्षाओं की अवधि और फ्रीक्वेंसी पर विशेष रूप से चिंता जतायी है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छात्रों और अभिभावकों की चिंताओं का संज्ञान लेते हुए, विभिन्न राज्यों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों की घोषणा की थी. इसमें उन सभी बच्चों को शामिल करने के तरीके सुझाए गये थे, जिनके पास उनके सीखने में सहायता के लिए कोई डिजिटल उपकरण नहीं है. ये दिशा-निर्देश वेबसाइट पर उपलब्ध है. उसका अनुपालन करें.
विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए : सीबीएसइ ने कहा है कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. स्कूलों को अतिरिक्त मेहनत करने और यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि विशेष आवश्यकता वाले सभी बच्चे और जिनके माता-पिता एसेंशियल सर्विस में लगे हैं. उनके बच्चों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो.