बिहार में जनता चुनेगी मेयर-डिप्टी मेयर, अविश्वास प्रस्ताव का भी खेल खत्म, जानिये कैसे हट सकते हैं पद से..
बिहार में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव सीधे जनता के द्वारा किया जाएगा. राजभवन ने एक्ट में संशोधन का अध्यादेश विधि विभाग को भेज दिया है. अब पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लाकर मेयर-डिप्टी मेयर को नहीं हटा सकेंगे.
बिहार सरकार अब सूबे के नगर निगमों के चुनाव में बड़ा बदलाव करने जा रही है. प्रदेश के तमाम नगर निगमों में मेयर और डिप्टी मेयर को सीधा जनता के द्वारा ही चुना जाएगा. राजभवन ने नगरपालिका एक्ट में संशोधन का अध्यादेश विधि विभाग को भेज दिया है. अध्यादेश के संशोधन राज्य भर के 263 नगर निकायों पर भी लागू होंगे. इस बदलाव के बाद अब खरीद-बिक्री और सेटिंग के जरिये मेयर और डिप्टी मेयर के पद पर कोई नहीं बैठ पाएगा.
सूबे में पंचायत चुनाव संपन्न हो गये हैं. जिला परिषद अध्यक्ष व प्रमुख समेत कई अहम पदों पर भी निर्वाचन संपन्न हो गया है. वहीं अब वार्ड पार्षद का चुनाव नजदीक आ रहा है. वार्ड पार्षदों के समर्थन से ही अभी तक मेयर और डिप्टी मेयर बनाए जाते थे. लेकिन इस बात की शिकायत काफी अधिक आती रही है कि इन दोनों पदों को हासिल करने के लिए मोटी रकम का खेल खेला जाता है. पैसे के दम पर मेयर और डिप्टी मेयर तय हो जाते हैं. वहीं बीच कार्यकाल में ही अविस्वास प्रस्ताव लाकर फिर से पैसे का खेल खेला जाता है. जिसके बाद सरकार ने अब फैसला किया है कि मेयर और डिप्टी मेयर को भी सीधे जनता के द्वारा ही चुना जाएगा.
अध्यादेश के संशोधन सभी 263 नगर निकायों पर भी लागू होंगे. इनके सभापति और उपसभापति का निर्वाचन भी सीधे वोटर ही करेंगे. विधानसभा का शीतकालीन सत्र संपन्न हो चुका है इसलिए राजभवन को अध्यादेश जारी करना पड़ा है. जिसके बाद अब यह तय हो चुका है कि इस साल अप्रैल से जून तक नगर निगम के चुनाव में जनता ही मेयर और डिप्टी मेयर का फैसला करेगी. संशोधन के अनुसार, अब मेयर-डिप्टी मेयर के खिलाफ पार्षद अविश्वास प्रस्ताव भी नहीं ला सकेंगे.
नगर पालिका एक्ट की दो धाराएं संशोधन के बाद बदलेंगी. धारा 23(1) और धारा (25) को बदला जाएगा. धारा 23(1) में अभी तक ये प्रावधान था कि पार्षद अपनी पहली बैठक में बहुमत से मेयर और डिप्टी मेयर चुनेंगे. अब संशोधन के बाद नगर पालिका क्षेत्र के मतदाता सूची में दर्ज वोटर सीधा मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव करेंगे. धारा (25) में मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ एक तिहाई पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रावधान था. अब संशोधन के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा.
मेयर और डिप्टी मेयर को नये संशोधन के अनुसार अब अविश्वास प्रस्ताव लाकर नहीं हटाया जा सकेगा. बल्कि मेयर/डिप्टी मेयर के त्यागपत्र देने, मृत्यु होने या किसी आपराधिक मामले में 6 महीने तक फरार रहने की स्थिति में ही पद से हटाया जा सकेगा. इस नये संशोधन की चर्चा सोशल मीडिया पर भी जमकर हो रही है. आम लोग इसे अच्छा कदम बता रहे हैं.
Published By: Thakur Shaktilochan