बिहार में अप्रैल-मई में शहरी निकाय चुनाव होना है जिसमें मेयर व डिप्टी मेयर और नगर परिषदों व नगर पंचायतों के मुख्य पार्षद-उप मुख्य पार्षद का चुनाव होना है. इस बार ये चुनाव पहले की तरह नहीं होगा. अभी तक जनता अपने वार्ड में पार्षद चुनती थी और वो पार्षद ही मेयर या डिप्टी मेयर आदि का चुनाव करते थे. लेकिन अब ये व्यवस्था सरकार ने एक अध्यादेश लाकर बदल दी है. अब जनता के वोट से सीधे मेयर और डिप्टी मेयर आदि का चुनाव होगा.
मेयर/डिप्टी मेयर के पद पर प्रत्यक्ष निर्वाचन को लेकर गुरुवार को राजभवन ने अध्यादेश जारी कर दिया. बिहार सरकार द्वारा इसका गजट भी प्रकाशित कर दिया गया है. इस अध्यादेश को बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश-2022 कहा जायेगा. वर्ष 2007 यानी 15 वर्षों के बाद बिहार नगरपालिका कानून में संशोधन किया गया है. संशोधित कानून बिहार के सभी 263 नगर निकायों पर लागू होगा. उपमुख्यमंत्री सह नगर विकास मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने अध्यादेश जारी किये जाने की पुष्टि की है.
झारखंड व दक्षिण भारत सहित कई राज्यों में अभी यह प्रणाली लागू है. अब बिहार में भी इसे लागू कर दिया गया है. यानी इस बार चुनाव में पार्षद तय नहीं करेंगे कि किन्हें मेयर और डिप्टी मेयर बनाना है बल्कि अब जनता खुद तय करेगी कि वो किन्हें वोट करके इन पदों पर बैठाएगी.
कानून में संशोधन के तहत नगरपालिका कानून की दो धारा धारा 23 (1) और धारा 25 में बदलाव लाया गया है. एक में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव का तरीका तो दूसरे में पार्षदों के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को बदला गया है. जनता द्वारा चुने गये मेयर-डिप्टी मेयर सीधे सरकार को अपना इस्तीफा देंगे. उनका त्यागपत्र सात दिनों के बाद प्रभावी हो जायेगा, बशर्ते इस अवधि में वे उसे वापस न ले लें.
नये नियम के तहत अब पद से हटाये जाने वाले मेयर-डिप्टी मेयर, नगर पंचायत और नगर परिषद के मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद संबंधित निकाय में बांकि अवधि के लिए दोबारा चुनाव नहीं लड़ पायेंगे. बता दें कि अभी कई जगहों से ये शिकायत सामने आती रही है कि मेयर और डिप्टी मेयर के पद पर बैठने के लिए धनबल का खेल बड़े पैमाने पर खेला जाता रहा है. इस नयी व्यवस्था से अब जनता के हाथ में ही ये ताकत रहेगी कि कौन इन पदों को संभालेंगे.
Posted By: Thakur Shaktilochan