माउंट एवरेस्ट बेस कैंप का हिस्सा बनेंगे बिहार के नंदन चौबे, बनेगा नया रिकॉर्ड!
'पहाड़ों पर चढ़कर चोटियों पर फतेह पाने की राह आसान नहीं होती है. इसके लिए आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत बनना पड़ता है.'' यह कहना है मूल रूप से बक्सर जिले के रहने वाले नंदन चौबे का, जिन्होंने अब तक उत्तराखंड, सिक्किम, लेह, लद्दाक, कारगिल, गंगोत्री, हिमाचल प्रदेश, चंबा और नेपाल स्थित 21 पहाड़ों पर फतह हासिल की है.
जूही स्मिता,पटना: ”पहाड़ों पर चढ़कर चोटियों पर फतेह पाने की राह आसान नहीं होती है. इसके लिए आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत बनना पड़ता है.” यह कहना है मूल रूप से बक्सर जिले के रहने वाले नंदन चौबे का, जिन्होंने अब तक उत्तराखंड, सिक्किम, लेह, लद्दाक, कारगिल, गंगोत्री, हिमाचल प्रदेश, चंबा और नेपाल स्थित 21 पहाड़ों पर फतह हासिल की है.
माउंट एवरेस्ट बेस कैंप के लिए होंगे रवाना
नंदन चौबे का दावा है कि वे ऐसा करनेवाले बिहार के पहले शख्स है और इस बात को वह बेहद गर्व से बताते हैं. अब आगे इसी महीने 18 तारीख को नंदन नेपाल स्थित माउंट एवरेस्ट बेस कैंप के लिए रवाना होनेवाले हैं. यह यात्रा कुल 22 दिनों की होगी, जो कि अपने आपमें नंदन का एक नया रिकॉर्ड होगा. अपनी इस यात्रा के दौरान नंदन लोगों को लगातार पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन को लेकर भी जागरूक कर रहे हैं. वे पटना-सीतामढ़ी-रक्सौल-काठमांडू (साउथ बेस कैंप) जायेंगे.
बचपन से ही रहा है पहाड़ों से लगाव
नंदन बताते हैं कि जब वह स्कूल जाते थे, तो उस वक्त रास्ते में कई सारे छोटे-छोटे पहाड़ आते थे, जिन्हें देख कर उन्हें बड़ा अच्छा लगता था. वह हमेशा सोचते कि कैसे इन पहाड़ों की चोटी तक पहुंचा जाये. फिर वे अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए बाहर गये. उस वक्त उन्होंने उत्तराखंड में पहली बार ट्रैकिंग की, वो भी बिना प्रॉपर गियर वाले इक्विपमेंट्स के. इसका अनुभव उन्हें आज भी रोमांचित करता है. वहां से आने के बाद साल 2019 में उन्होंने एएन कॉलेज से बीबीए कंप्लीट किया. उसके बाद साल 2018 में बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स, साल 2019 में एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स और एडवेंचर एंड ट्रैवल एस्कॉर्ट कोर्स किया.
Also Read: बिहार की बसों में अब 50 किलोमीटर तक मुफ्त यात्रा करेंगे दिव्यांग, दूर के सफर में मिलेगी ये रियायतें…
पर्वारोहण के लिए जाते हैं तो मां रहती हैं चिंतित
नंदन बताते हैं कि जब भी वह पर्वारोहण के लिए जाते हैं, तो उनकी मां काफी चिंतित रहती है, जबकि पिता अमरनाथ चौबे का उन्हें पूरा सपोर्ट मिलता है. वह हमेशा कहते हैं कि जो भी करो पूरे दिल से करो और अपने देश का नाम रोशन करें.नंदन की मानें, तो वह अब तक नेशनल इंटीग्रेशन कैंप जम्मू-कश्मीर और स्टेट लेवल इंटीग्रेशन कैंप, नयी दिल्ली का हिस्सा रह चुके हैं.
मिल चुके हैं कई अवार्ड्स
साल -अवार्ड
2018-‘क्लीन ऑफ द हिमालय फॉर एडवेंचर’ कैंप के लिए माउंटेनियरिंग अवॉर्ड
2018-पाटलिपुत्रा रत्न अवॉर्ड
2019-‘बेस्ट रोप फॉर एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स’ के तहत माउंटेनियरिंग अवॉर्ड
2019- ऑइकॉनिक पर्सानालिटी ऑफ इंडिया(नयी दिल्ली)
2019-कलाम यूथ लीडरशिप अवॉर्ड
2019-इंडिया यूथ अवॉर्ड
2019-ग्लोबल बिहार एक्सचेंज अवॉर्ड
2020-ग्लोबल एक्सेलेंस अवॉर्ड
2020-पिनेकल लीडरशिप अवॉर्ड
इन पहाड़ों पर हासिल की फतेह
पहाड़ के नाम-लोकेशन-अल्टीट्यूड/हाइट
केदारकंठ-उत्तराखंड-12000 फुट
बालीपास-उत्तराखंड-16400 फुट
गोमुख तपोवन- उत्तराखंड-14800फुट
माउंट रूद्रगैरा-उत्तराखंड-19091फुट
कंचनजंघा बेस कैंप-सिक्किम-5890मीटर
कांगयात्से2-लद्दाक-20997 फुट
डजो जांगो-लेह-20570 फुट
स्टॉक कांगरी-लेह,लद्दाक-20305 फुट
गंगोत्री3-उत्तराखंड-5500मीटर
वर्जिन पिक-कारगिल-18000 फुट
बियास कुंड-हिमाचल प्रदेश-13500 फुट
गोईछला-सिक्किम-16500 फुट
कालिंदी खाल-गंगोत्री-5950मीटर
हर की दून-उत्तराखंड-11500 फुट
रूपकुंड ट्रेक-उत्तराखंड-15750 फुट
माउंट फ्रेंडशिप-हिमाचल प्रदेश-17352 फुट
गुलेप कांगरी-लद्दाक-5950मीटर
ब्लैक पीक-उत्तराखंड-6387मीटर(20955फुट)
पिर पानजल-चंबा-5927मीटर
भागीरथी 3-गंगोत्री-21175 मीटर
एवरेस्ट बेस कैंप-नेपाल-17900 फुट
Posted By: Thakur Shaktilochan