बिहार MLC चुनाव: कांग्रेस की ग्राउंड हकीकत बेहद चिंताजनक, अब दिल्ली की टीम तय करेगी सीट और उम्मीदवार
बिहार में एमएलसी चुनाव को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने सभी 24 सीटों के लिए आब्जर्वर नियुक्त किया है. कितने सीटों पर चुनाव लड़ना है और किस सीट पर कौन उम्मीदवार उतरेंगे, ये दिल्ली तय करेगी.
बिहार विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकार कोटे की 24 सीटों पर कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. सीट और उम्मीदवारोें के आकलन के लिए आलाकमान ने केंद्र से सभी 24 सीटों के लिए आब्जर्वर नियुक्त किया है. आब्जर्वर की रिपोर्ट आलाकमान को जायेगी.
इस रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस सीटों की संख्या और उम्मीदवारों के नाम तय करेगी. आलाकमान ने प्रभारी सचिव वीरेंद्र सिंह राठौर को बिहार भेजा है जो इस सिलसिले में पार्टी नेताओं और प्रत्याशियों से मिल रहे हैं.
इधर, चुनाव लड़ने को तैयार कांग्रेस के पास फिलहाल अभी तक किसी भी जिला परिषद के नव निर्वाचित अध्यक्ष या प्रखंड प्रमुख या मुखिया का समर्थन हासिल नहीं है. पार्टी से सिर्फ दर्जन भर पंचायत समिति के सदस्य जुड़े हुए हैं. सदस्यता अभियान में भी एक भी नव निर्वाचित जिला परिषद अध्यक्ष या प्रमुख ने सदस्यता नहीं ली है.
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विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार के लिए प्रभावशाली मतदाताओं में जिला परिषद अध्यक्ष और प्रखंड प्रमुख शामिल हैं. बात यहीं तक समाप्त नहीं होती. नगरपालिका क्षेत्रों में भी कोई मेयर या मुख्य पार्षद भी कांग्रेस समर्थक नहीं हैं. इनके साथी भी विधान परिषद के प्रत्याशियों के निर्वाचन में मतदाता होते हैं. मतदाताओं के स्तर पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ नहीं होने के कारण प्रत्याशियों को अपनी ताकत पर भी चुनावी मैदान में उतरना है.
जानकारों का कहना है कि महागठबंधन के अंदर राजद और कांग्रेस के अंदर सीटों को लेकर जिच बन गयी. जो सीटे राजद देना चाहता था वे सीटें कांग्रेस को पसंद नहीं थी. इधर कांग्रेस जिन सीटों की मांग कर रहा था उन सीटों को देने के लिए राजद सहमत नहीं हुआ. नतीजा यह हुआ कि दिल्ली में कांग्रेस के जमे नेताओं की मंशा भांप कर ही लालू प्रसाद ने मिलने को तैयार नहीं हुए.
राजद ने 2015 में कांग्रेस को पूर्णिया, सुपौल, पश्चिम चंपारण और मुंगेर की सीट दी थी. इस बार राजद ने राजद कांग्रेस को समस्तीपुर, गोपालगंज, मुंगेर और पूर्णिया की सीट देना चाहता था. कांग्रेस नेताओं का कहना था कि इन सीटों पर उनका जनाधार नहीं है तो वह सीटें लेकर क्या करेंगे. कांग्रेस नेताओं की मांग प्रमुख रूप से कटिहार, दरभंगा, भागलपुर, और गया की सीटें थी, जहां पसंद के उम्मीदवार उतारे जाने की तैयारी थी.
Posted By: Thakur Shaktilochan