नगरपालिका चुनाव की गति पर लगी अचानक रोक के बाद अनिश्चय की स्थिति पैदा हो गयी है. राज्य निर्वाचन आयोग ने अभी तक अधिसूचना को रद्द नहीं किया है. राज्य की सभी नगरपालिकाओं में आदर्श आचार संहिता लागू है. नगरपालिका चुनाव के प्रत्याशी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. आयोग अगर इस अधिसूचना पर चुनाव कराने का मन बना भी लेता है तो छठ महा पर्व के बाद ही किसी तरह का कार्यक्रम जारी किया जा सकता है. राज्य निर्वाचन आयोग के चुप्पी और भावी कार्यक्रम की स्पष्ट निर्देश के अभाव में कई सवालों के जवाब प्रत्याशी तलाश रहे हैं. इसका उत्तर देने वाला कोई नहीं है. राज्य निर्वाचन आयोग को ऐसे दर्जनों सवालों का संतोषजनक जवाब तलाशना होगा.
प्रत्याशियों का कहना है कि कोर्ट ने सिर्फ ओबीसी की सीटों की अधिसूचना रद्द करने का आदेश दिया है. आयोग द्वारा सभी पदों के चुनाव को स्थगित कर दिया गया है. मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को अभी तक रद्द नहीं किया गया है. प्रत्याशी यह पूछ रहे हैं कि अंतिम समय में चुनाव को स्थगित करने के बाद उनका नाम और सिंबल की स्थिति क्या होगी. इवीएम में बैलेट पेपर और क्रमांक में क्या बदलाव होगा. नामांकन राशि का क्या होगा. अगर चुनाव कराया जाता है तो उनको चुनाव के लिए कितना समय दिया जायेगा. अभी तक चुनावी में खर्च की गयी राशि को खर्च सीमा में माना जायेगा या नहीं.
इधर चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया था. सभी नगरपालिकाओं में ऑब्जर्वर तैनात हो गये थे और वह नामांकन पत्रों की जांच और मतदान कर्मी दल के रैंडमाइजेशन का काम भी कर चुके थे. जब्त किये गये वाहनों का भाड़ा भी सरकार को देना होगा. अभी तक सरकार द्वारा चुनावी खर्च के लिए आवंटित की गयी 102 करोड़ की राशि में से बड़ी राशि के खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है. प्रत्याशियों का कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग को यह भी रास्ता निकालना होगा जिससे प्रत्याशियों के दर्द कम हो सके.
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नामांकन शुल्क वापस लौटेगा या नहीं
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चुनावी खर्च का समायोजन किस प्रकार होगा
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आचार संहिता उल्लंघन के मुकदमों का क्या होगा
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चुनाव के लिए जब्त किये गये वाहनों का किराया सरकार देगी या नहीं
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चुनाव कराये जायेंगे तो प्रत्याशियों को कितनी समय सीमा मिलेगी