Bihar Museum: धरोहरों को खुद में समाया है बिहार संग्रहालय, स्थापना दिवस आज

Bihar Museum में विदेशों से भी कई पर्यटक आते हैं तो यहां की इतिहास दीर्घा से लेकर कला दीर्घा का दीदार कर अपना शानदार अनुभव शेयर किया है, जिसका साक्षी विजिटर्स डायरी बना है.

By RajeshKumar Ojha | August 7, 2024 5:10 AM
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Bihar Museum आज बिहार संग्रहालय के नौ साल हो गये हैं. साल 2015 में 8 अगस्त को सीएम नीतीश कुमार ने इसका उद्धाटन किया था. करोड़ों की लागत से बनी यह संग्रहालय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से सुसज्जित है. यही वजह है कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. विदेशों से भी कई पर्यटक आते हैं तो यहां की इतिहास दीर्घा से लेकर कला दीर्घा का दीदार कर अपना शानदार अनुभव शेयर किया है, जिसका साक्षी विजिटर्स डायरी बना है. 13 एकड़ में फैले संग्रहालय का जीवन दर्शन करायेगा आज की लाइफ@सिटी की रिपोर्ट…

स्थापना दिवस पर आज होंगे ये कार्यक्रम

बिहार संग्रहालय स्थापना दिवस को लेकर आज समकालीन दीर्घा का शुभारंभ किया जायेगा. वहीं, मिथिला पेंटिंग में प्राकृतिक रंगों की कार्यशाला में प्रतिभागियों द्वारा तैयार पेंटिंग की प्रदर्शनी लगायी जायेगी. साथ ही, वैदेही सीता पर आयोजित कार्यशाला में निर्मित कलाकृतियों की प्रदर्शनी का शुभारंभ होगा. इसमें माता सीता का जीवन चित्रण किया गया है. 

संग्रहालय का संपूर्ण जीवन-दर्शन

संग्रहालय के मुख्य द्वार से जैसे ही आप प्रवेश करेंगे सुंदर लॉबी देखने को मिलेगा. यह लॉबी संग्रहालय का प्रमुख केन्द्र है. लॉबी में एक सुंदर झरना दर्शकों का स्वागत करता है. लॉबी क्षेत्र के समाप्त होने पर दर्शकों के लिए एक अध्ययन कक्ष भी है, जहां इतिहास, पुरातत्त्व और संग्रहालय आदि के विषयों में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. लॉबी से बांयी ओर इतिहास दीर्घा ए, इतिहास दीर्घा बी, इतिहास दीर्घा सी, ऐतिहासिक कला दीर्घा, दृश्य भंडारण, क्षेत्रीय कला दीर्घा, बिहारी संतति दीर्घा व समसामयिक कला दीर्घा की ओर जा सकते हैं. वहीं, दायीं ओर बाल व डिस्कवरी दीर्घा की ओर भ्रमण कर सकते हैं. संग्रहालय में कैफेटेरिया भी है, जहां बिहार के पकवानों का आनंद भी उठा सकते हैं. साथ ही दर्शक बिहार संग्रहालय के महत्वपूर्ण व चयनित पुरावशेषों के आधार पर निर्मित उपहार उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के अधीन उपहार केन्द्र से खरीदारी भी कर सकते हैं. 

नालंदा की गुफाओं और बौद्ध भिक्षुओं से रूबरू होने का मिलेगा मौका

बिहार म्यूजियम की गैलरी में अब बड़े स्क्रीन पर थ्रीडी इफेक्ट वाले वीडियो के माध्यम से नालंदा की गुफाओं को देखने का मौका मिलेगा. नालंदा की गुफाओं में रहने वाले बौद्ध भिक्षुकों की पूरी जीवनशैली को इस वीडियो के जरिये दिखाया जाता है. देखने वाले को ऐसा लगता है जैसे वह सैकड़ों साल पहले घटित इन घटनाओं का एक पात्र खुद भी हों. ऐसा महसूस होगा, जैसे आप गुफा के अंदर जाकर उन भिक्षुओं से रूबरू हो रहे हों. वीडियो में बौद्ध भिक्षु प्रार्थना और ध्यान करते नजर आएंगे.

 बाल दीर्घा में टच स्क्रीन पर मिलती है जानकारी

बाल दीर्घा में बिहार के सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक इतिहास को जीवंत रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है. इसमें आप मौर्य वंश से शेरशाह सूरी के इतिहास को जान सकते हैं. यहां आपको सिक्कों का अद्भुत संसार भी देखने को मिलेगा. दीर्गा में लगे टच स्क्रीन पर पर्यटक विभिन्न काल खंडों में प्रचलित सिक्कों की कहानी को आसानी से समझ पाते हैं. मुगल शासन काल, अंग्रजों का शासन व स्वतंत्र भारत में सिक्कों के बदलते स्वरूप को यहां देखा जा सकता है. ऑडियो-वीडियो से जानकारी मिलती है कि 1540 में सत्ता में आने के बाद शेर शाह सूरी ने नये सिक्कों का प्रचलन शुरू किया और उनका मूल्य भी निर्धारित किया. शेरशाह सूरी की मुद्रा सुधार प्रणाली इतनी अच्छी थी कि आगे के शासकों ने भी अपने सिक्कों को ढालते समय उसे अपनाया था.

भारतीय कला का अनूठा व उत्कृष्ट उदाहरण है दीदारगंज यक्षी

कला दीर्घा में मौजूद दीदारगंज यक्षी भारतीय कला का अनूठा व उत्कृष्ट उदाहरण है. इसका निर्माण करीब 2,000 से 23 सौ साल पहले सम्राट अशोक के शासनकाल में हुआ था. बादामी रंग के बलुआ पत्थर के एक विशाल टुकड़े पर ऊंचे आकार की उत्कृष्ट पॉलिश वाली प्रतिमा वर्ष 1917 में पटना के निकट दीदारगंज में गंगा नदी के तट के समीप मिली थी. नदी तट की गीली मिट्टी में यह मूर्ति दबी हुई थी, जिसके आधार के निचले हिस्से का प्रयोग शायद गांव वाले कपड़ा धोने के लिए किया करते थे. मालूम हो संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में साल 1985 में आयोजित कला प्रदर्शनी जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में दीदारगंज यक्षी भारतीय कला का प्रतिनिधित्व करती रही है. हमारे संग्रह की यह सर्वाधिक सुंदर एवं महत्त्वपूर्ण कलाकृति है. 

गिरमिटिया मजदूरों की कहानी को किया है जीवंत

संग्रहालय में मजदूरों की कहानी चित्रों व फिल्मों के जरिये जीवंत किया गया है. विदेश जाने वाले गिरमिटिया मजदूरों से जुड़े प्रसंग भी तस्वीरों में दिखते हैं. चित्रों में साफ तौर पर दिखता है कि कुछ लोग अपनी मर्जी से दूसरे देश गये तो किसी को पैसे का लालच देकर ले जाया गया. इनमें अधिकांश लोग कभी अपने वतन नहीं लौटे. बाहर जाने वाले लोगों ने अपने धर्म और संस्कृति को कभी नहीं छोड़ा. वहीं, दीर्घा में लोक वाद्य यंत्रों को भी बखूबी सजाया गया है. यहां सलीके से रखी गयी तस्वीरों में प्रवासी मजदूरों का दर्द भी देखने को मिलता है. यहां कोलकाता जाकर कुली के तौर पर काम करने वाले बिहारियों को तस्वीर में प्रदर्शित किया गया है. चित्रों में ये मजदूर सिर पर टोकरी और गमछा रखे आधे कपड़े पहने दिखाई दे रहे हैं. 

प्राकृतिक रंगों को तैयार कर बनायी मिथिला पेंटिंग

बिहार संग्रहालय में 31 जुलाई से मिथिला पेंटिंग पर कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इसमें प्राकृतिक रंगों को तैयार करते हुए 84 प्रतिभागियों ने मिथिला पेंटिंग तैयार किया है. कार्यशाला में हर उम्र के बिहार भर के लोगों ने भाग लिया है. इसमें सबसे कम उम्र की प्रतिभागी डीएवी बीएसइबी की 9वीं की छात्रा अंजलि यादव डोली पर विदा होती दुल्हन की तस्वीर बनायी है. इसी तरह अन्य लोगों ने कार्यशाला में पेंटिंग की विधा को सीखते हुए अपने हुनर का प्रदर्शन किया है. बुधवार को उनकी पेंटिंग प्रदर्शनी में लगायी जायेगी.

विदेशी पर्यटक भी पहुंचे बिहार संग्रहालय

संग्रहालय में भारत समेत विदेशी पर्यटकों का भ्रमण के लिए आने का सिलसिला लगा है. इस साल जापान से हिरोशी सुजुकी (जापान के राजदूत), चीन से मा जिया (एम्बेसी ऑफ चाइन इन इंडिया), कोरियाई राजदूत चांग जे बोक, भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन, ताइवान से फ्रेड चेन, हसू चिन युआन व अन्य पहुंचे. वहीं, जुलाई माह में नीदरलैंड से धोया स्निजर्स, नार्वेजियन के फिलिप्पा व स्वीडन और ऑस्ट्रेलिया के डिप्लोमैट भ्रमण करने आये. दो दिवसीय बिहार भ्रमण में वे बिहार संग्रहालय का दौरा करने के बाद बोध गया के लिए निकले थे. विदेशी पर्यटक ने अपने अनुभव भी शेयर किये हैं जिसमें कहा है कि बिहार बहुत मजेदार जगह है. यहां के लोगों में काफी पोटेंशियल है. यह हमें म्यूजियम में देखने को मिला. कई लोगों को यहां की पेंटिंग व बिहारी व्यंजन भी आकर्षित किया.

 पीएम ने लिखी है विजिटर बुक में अपने विचार

साल 2017 में पटना विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह में शामिल होने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी बिहार संग्रहालय पहुंचे थे. उन्हें सीएम नीतीश कुमार व संग्रहालय महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने भ्रमण कराया था, जिसके बाद वे विजिटर बुक में गुजराती भाषा में अपने अनुभव लिखे. जिसमें उन्होंने लिखा कि श्रद्धा दर्शन के लिए प्रेरित करती है. जिज्ञासा प्रदर्शन के लिए प्रेरित करती है. इतिहास, संस्कृति की महान विरलता का अनुभव कराने का उत्तम स्थल है. अभिनंदन.

तीन साल में 11 लाख पहुंचे पर्यटक

बिहार संग्रहालय में तीन वर्षों में 11 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे. इसमें 1198 विदेशी पर्यटक शामिल हैं. बता दें कि, साल 2021-22 में 2,03,808 पर्यटक पहुंचे. इस साल 35 लोग विदेश से आए. वहीं, साल 2022-23 में 4,52,396 लोग पहुंचे. इसमें 392 लोग विदेश से आए. जबकि, साल 2023-24 में 4,49,400 पर्यटक पहुंचे. इसमें 771 की संख्या विदेशी पर्यटकों की है. आंकड़े बताते हैं कि बिहार संग्रहालय भ्रमण में विदेश के लोगों में रुचि बढ़ रही है. इसकी संख्या में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है.

विजिटर्स के लिए सुविधाएं

व्हील चेयर

लिफ्ट

चाइल्ड केयर रूम

स्वयंसेवक गाइड

कैफेटेरिया

एम्फीथिएटर

संग्रहालय की दुकान

टिकट की कीमतें

भारतीय व्यस्क : 100 रुपये

भारतीय बच्चे (5 से 12 वर्ष) : 50 रुपये

विदेश व्यस्क : 500 रुपये

विदेशी बच्चे (5 से 12 वर्ष) : 250 रुपये

विद्यालय के छात्र समूह : 25 रुपये

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