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Bihar Museum: बिहार संग्रहालय के 7वें स्थापना दिवस पर पेंटिंग्स में जीवंत हुई वैदेही सीता..

Bihar Museum बिहार संग्रहालय के बहुउद्देशीय दीर्घा में 31 जुलाई से 6 अगस्त तक वैदेही सीता पर कला शिविर का आयोजन था. इसमें अलग–अलग विधाओं के बिहार के 30 नामचीन कलाकार, जिनमें से सभी राज्य पुरस्कार से पुरस्कृत, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त और कई पद्मश्री से भी सम्मानित कलाकार हैं.

Bihar Museum बिहार संग्रहालय के 7 वें स्थापना दिवस पर बुधवार को संग्रहालय में दो प्रदर्शनी के साथ समकालीन दीर्घा का उद्घाटन किया गया.  इस अवसर पर अगले तीन दिनों के लिए अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा.बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि पिछले एक हफ्ते से हमारे संग्रहालय में उत्सव का माहौल है. काफी बड़ी संख्या में पूरे राज्य से कलाकार इस स्थापना दिवस में आये हैं.

यहां पर दो प्रदर्शनियां लगायी हैं पहली परंपरागत मिथिला पेंटिंग सह कार्यशाला जिसे हमे नयी पीढ़ी को सीखा रहे हैं. दूसरा वैदेही सीता पर बड़ा कार्यक्रम किया जा रहा है. यह दोनों प्रदर्शनी चलेगी. आप कलाकार अपना काम करें इसे हम दुनिया में लेकर जायेंगे. मेरी योजना है कि सीता की जीवनी पर बनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी पूरे देश के संग्रहालयों में लेकर जायेंगे.

लोक कला में 50 से ज्यादा पेंटिंग्स हैं ऐसे में प्रदर्शनी लगाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. आगे मौका मिला तो देश से बाहर भी लेकर जायेंगे. यंग जेनरेशन कला के लेकर काफी सजग हैं.अगले तीन दिनों तक कई आयोजन होंगे. साथ ही आने वाले कुछ महीनों में कई सांस्कृतिक और प्रदर्शनी का आयोजन होगा जिसमें कलाकार सुबोध गुप्ता की प्रदर्शनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीन महीने के लिए आयोजित होगी.



लोगों को मिले इस प्रदर्शनी को देखने का मौका  

कला संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर निदेशक हरजोत कौर बम्हरा ने कहा कि मां सीता की जन्मभूमि के नाम से बिहार का नाम जाना जाता है. इस साल स्थापना दिवस पर हमने वैदेही सीता पर कार्यक्रम का आयोजन किया है. इसके लिए वैदेही सीता के पूरे जीवन को अलग-अलग लोक कलाकारों ने अपनी कला के माध्यम से दर्शाया है जिसकी प्रदर्शनी लगायी गयी है वह काफी सराहनीय है.

मैं महानिदेशक ने अनुरोध करना चाहूंगी कि इस प्रदर्शनी को बिहार के अलग-अलग शहरों में जहां कला संस्कृति एवं युवा विभाग के सभागार है जहां आर्ट गैलेरी में इन्हें प्रदर्शित किया जाये. बिहार संग्रहालय की परिकल्पना बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने की थी जिस पर हम बिहार के लोगों बड़ा गर्व है. यहां पर आप प्राचीन कला, लोक कला और आधुनिक कला को आप देख सकते हैं साथ इसका डिसप्ले काफी सरल भाषा में होता है यह बहुत अच्छी बात है.

पद्मश्री शिवन पासवान ने कहा कि हम कलाकार रहे ना रहे लेकिन हमारी कला कभी नहीं मरनी चाहिए. उन्होंने कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव से निवेदन किया कि हमारी संस्कृति उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान का पतन हो रहा है इसका संरक्षण करने को लेकर कुछ करें वरना आने वाली पीढ़ी इससे अछूती रह जायेगी. समकालीन कलाकार सुबोध गुप्ता ने कहा कि इस संग्रहालय के साथ मेरा पुराना रिश्ता है.

यहां पर आपको एक ही जगह कला का संगम के देखने को मिलेगा जिसमें प्राचीन कला, लोक कला और आधुनिक कला शामिल हैं. इस दौरान संग्रहालय निदेशक राहुल कुमार, अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा, 95 वर्षीय आनंदी प्रसाद बादल, पद्मश्री बौआ देवी, पद्मश्री दुलारी देवी, पद्मश्री शांति देवी, पद्मश्री अशोक कुमार विश्वास सहित बिहार के जिलों से और अन्य राज्यों से आये कलाकार मौजूद थे.  


दिल्ली समेत बिहार के विभिन्न जिलों से 90 कलाकार हुए शामिल

पहली प्रदर्शनी, जिसका उद्घाटन पद्मश्री शिवन पासवान, पद्मश्री शांति देवी और सुजनी कला की कलाकार निर्मला देवी ने संयुक्त रूप से किया. वह प्राकृतिक रंगों से निर्मित मिथिला पेंटिंग की थी. प्राकृतिक रंगों की पेंटिंग का कार्यशाला चर्चित संस्था आसरा सेवा केन्द्र द्वारा बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के सहयोग से संग्रहालय के बाल–दीर्घा क्लास रूम में 2-6 अगस्त तक आयोजित था.

कार्यशाला में दिल्ली समेत बिहार के विभिन्न जिलों से 90 कलाकार शामिल थे. पांच दिवसीय कार्यशाला में प्राकृतिक रंगों के प्रयोग से छाता, कैनवास, कागज, पीतल एवं स्टील के बर्तन और खादी एवं सिल्क की बंडी पर आकर्षक पेंटिंग बनायी गयी, जिसे उद्घाटन के बाद आज से प्रदर्शित कर दिया गया है.


30 लोक कलाकारों ने सीता की जीवनी को किया जीवंत

बिहार संग्रहालय के बहुउद्देशीय दीर्घा में 31 जुलाई से 6 अगस्त तक वैदेही सीता पर कला शिविर का आयोजन था. इसमें अलग–अलग विधाओं के बिहार के 30 नामचीन कलाकार, जिनमें से सभी राज्य पुरस्कार से पुरस्कृत, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त और कई पद्मश्री से भी सम्मानित कलाकार हैं. सभी ने इस कार्यशाला सह प्रदर्शनी में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की थी.

इन प्रसंगों में अकाल के बीच सीता का धरती से प्रकटीकरण (जन्म), प्रकृति के बीच उनका बचपन, एक चित्रकार के तौर पर बालिका सीता, सहेलियों संग उनकी बाल क्रीड़ा, अध्ययन आदि, बाल्यकाल में शिव के धनुष संग बाल सुलभ क्रीड़ा, जनक वाटिका में सीता तथा राम और लक्ष्मण संग पहली मुलाकात, धनुष यज्ञ, राम सीता स्वयंवर, वन गमन, केवट प्रसंग, फल्गु नदी और देवी सीता आदि शामिल हैं.

इसके अलावा सीता के जीवन से जुड़े स्वर्ण मृग, लक्ष्मण रेखा और सीता, रावण द्वारा सीता हरण, जटायु संग युद्ध, अशोक वाटिका में सीता, हनुमान के द्वारा अशोक वाटिका में प्रभु राम की मुद्रिका दिखाने के प्रसंग पर तस्वीरें बनायी गयी हैं और अन्य विधाओं में कला का सृजन किया गया है.



स्थापना दिवस पर समकालीन दीर्घा का हुआ उद्घाटन

बिहार संग्रहालय में स्थायी रूप से निर्मित समकालीन दीर्घा प्रदर्शनी का उद्घाटन देश के  कलाकार सुबोध गुप्ता ने किया. इस हॉल में सतीश गुजराल, तारशितो, रवीन्द्र रेड्डी, संजय कुमार, युसूफ, सीमा कोहली, परेश मैती और अतुल डोडिया, जतिन दास, केजी. सुब्रमण्यम, एसजी. वासुदेव, जोगिन चौधरी जैसे नामचीन कलाकारों की कलाकृतियां प्रदर्शित हैं. यह हॉल अब स्थायी रूप से दर्शकों के अवलोकनार्थ प्रतिदिन खुला रहेगा.

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