इथेनॉल बनाने में ही खप रहे हैं बिहार के 50 फीसदी मक्के, 30 फीसदी से बन रहा पशु चारा
Bihar News: वर्ष 2022 में 20 फीसदी ही इथेनॉल प्लांटों में खपत हो रही थी. इसके बाद सबसे अधिक खपत पशु चारा के निर्माण में हो रहा है. पशु चारा के लिए 30 फीसदी मक्के की खपत हो रही है, जबकि वर्ष 2022 में 50 फीसदी हो रहा था.
Bihar News: मनोज कुमार, पटना. इथेनॉल प्लांटों में अब राज्य में उत्पादित मक्के की 50 फीसदी खपत हो रही है. बीते साल से इसमें लगभग 30 फीसदी का उछाल आया है. वर्ष 2022 में 20 फीसदी ही इथेनॉल प्लांटों में खपत हो रही थी. इसके बाद सबसे अधिक खपत पशु चारा के निर्माण में हो रहा है. पशु चारा के लिए 30 फीसदी मक्के की खपत हो रही है, जबकि वर्ष 2022 में 50 फीसदी मक्के का उपयोग पशुचारा के लिए हो रहा था. पशुचारा से यह इथेनॉल प्लांटों में शिफ्ट हो गया है. राज्य में कुल 17 इथेनॉल प्लांट खोले जाने हैं. इसमें 11 खुल गये हैं. इस साल और शेष छह सभी ऑपरेशनल हो जाएंगे. इन छह के ऑपरेशनल होने के बाद मक्के की और डिमांड बढ़ेगी. किसानों को मक्के का उचित दाम मिल पायेगा.
पांच फीसदी मक्के का हो रहा निर्यात
वर्ष 2023 में राज्य में उत्पादित मक्के का पांच फीसदी दूसरे राज्यों में निर्यात हुआ. प्रोसेस्ड फूड में पांच फीसदी, स्टार्च इंडस्ट्री में पांच, फूड में पांच फीसदी मक्के की खपत हो रही है. एक फीसदी अन्य दूसरे कार्यों में मक्के का उपयोग हो रहा है.
निर्यात व स्टार्च उद्योग में गिरावट
वर्ष 2022 में आठ फीसदी मक्के का निर्यात हुआ था. राज्य में ही खपत अधिक होने से इसके निर्यात में तीन फीसदी गिरावट आयी है. स्टार्च इंडस्ट्री में भी वर्ष 2022 में सात फीसदी मक्के की खपत हुई थी, इसके अगले साल दो फीसदी की गिरावट आयी. वर्ष 2022 में फूड में आठ फीसदी व अन्य कार्यों में दो फीसदी मक्के का उपयोग हुआ था. इसमें वर्ष 2023 में में पांच और दूसरे कार्यों में एक फीसदी ही मक्के का उपयोग हुआ.
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मक्के का हुआ 33 लाख एमटी उत्पादन
वर्ष 2023-24 में मक्के का उत्पादन 33.78 लाख एमटी हुआ. वर्ष 2023-23 में मक्के का उत्पादन 48.29 लाख एमटी हुआ था. बिहार के नये उत्पादों का सृजन हो रहा है. इस बीच उत्पादन में गिरावट आयी है. कारण कि वर्ष 2022-23 में 7.48 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती हुई थी. वर्ष 2023-24 में 5.64 लाख हेक्टेयर में ही मक्के की खेती हुई.