Bihar News: पटना. बिहार के कृषि विभाग ने खरीफ सीजन के बाद खेत में पुआल जलानेवाले किसानों पर बड़ी कार्रवाई की है. सरकार ने बिहार के 63 किसानों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया है. तीन वर्षों तक इन किसानों को डीबीटी के जरिए योजनाओं की मिलनेवाली धनराशि पर रोक लगा दी गयी है. इन 63 किसानों में कैमूर, गया, भोजपुर, नालंदा और रोहतास के किसान शामिल हैं. विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वायु प्रदूषण और मिट्टी में पोषक तत्वों के क्षरण को रोकने के लिए प्रयासरत है. कृषि अधिकारियों ने बताया कि 2019 से 2024 दिसंबर के पहले हफ्ते तक कृषि क्षेत्र से संबंधित योजनाओं के तहत लगभग 10 हजार किसानों पर कार्रवाई की गई. जिसने किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकने का काम किया है.
सैटेलाइट चित्रों के माध्यम से हुई पहचान
2019 से, कृषि विभाग नियमित रूप से नवंबर से जनवरी के पहले सप्ताह और मार्च से अप्रैल के अंत तक सभी जिलों में खरीफ और रबी की फसल के बाद किसानों द्वारा जलाए जानेवाले फसल अवशेषों की सैटेलाइट इमेज के माध्यम से निगरानी कर रहा है. जिसे जिलों में फील्ड स्टाफ द्वारा सत्यापित किया जाता है. इस साल खरीफ की कटाई के बाद से अब तक, फसल अवशेष जलाने या ठूंठ जलाने की घटनाएं कुछ साल पहले की तुलना में बहुत कम हुई हैं. ऐसा सैटेलाइट चित्रों के माध्यम से सभी जिलों में खेतों की निगरानी और जिलों में फील्ड स्टाफ द्वारा उन स्थानों पुआल जलाने का पता चला है.
ड्रोन से रखी जा रही है खेतों पर नजर
इस साल बिहार में हवा की गुणवत्ता में गिरावट को देखते हुए खेत में पुआल जलाने के मामलों का पता लगाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभाग ने पुआल जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए मुख्य रूप से अवैध शराब पर नज़र रखने के लिए ड्रोन का उपयोग करने के लिए उत्पाद शुल्क विभाग के साथ समझौता किया है. अधिकारियों ने बताया कि विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए कि मिट्टी की गुणवत्ता खराब न हो, पुआल जलानेवाले किसानों के प्रति सख्त रुख अपना रहा है, क्योंकि फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी फसलों के लिए अनुत्पादक हो जाती है.
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