18 साल से कम उम्र के बच्चों को बड़ी राहत, सात साल के सजा वाले मामले में नहीं होगी एफआइआर

Bihar News: बिहार पुलिस मुख्यालय ने किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के अनुपालन को लेकर पुलिस पदाधिकारियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित करते हुए नयी मार्गदर्शिका जारी की है.

By Ashish Jha | November 12, 2024 8:06 AM

Bihar News: पटना. तीन से सात साल तक की सजा वाले अपराध के मामलों में कानून तोड़ने वाले 18 साल से कम उम्र के बच्चों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं होगी. इन अपराधों की सूचना सिर्फ थाने की स्टेशन डायरी में दर्ज की जायेगी. सात साल से अधिक सजा वाले जघन्य अपराध के मामलों में ही अवयस्कों पर एफआइआर दर्ज की जायेगी. बिहार पुलिस मुख्यालय ने किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के अनुपालन को लेकर पुलिस पदाधिकारियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित करते हुए नयी मार्गदर्शिका जारी की है.

जिला स्तर पर एसजेपीयू, थाना स्तर पर सीडब्लूपीओ का प्रावधान

पुलिस मुख्यालय ने बताया है कि विधि से संघर्षरत किशोर तथा पीड़ित बच्चों की देखरेख व संरक्षण को लेकर पुलिस पदाधिकारियों को सुदृढ़ करने हेतु जिला स्तर पर विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) एवं थाना स्तर पर बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी (सीडब्लूपीओ) का प्रावधान किया गया है. विशेष किशोर पुलिस इकाई का नेतृत्व डीएसपी या उससे ऊपर पद के पुलिस पदाधिकारी करेंगे, जबकि थानों में एएसआइ स्तर के पदाधिकारी को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी.

अपराधों को तीन श्रेणियों में बांटा गया

पुलिस पदाधिकारियों के लिए जारी मार्गदर्शिका के मुताबिक विधि का उल्लंघन करने वाले 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अपराधों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है.

  1. तीन साल तक की सजा वाले अपराधों को छोटे अपराध. इन मामलों में किशोर के विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं कर सिर्फ अपराध की सूचना स्टेशन डायरी में दर्ज होगी.
  2. तीन से सात साल की सजा वाले अपराधों को गंभीर अपराध श्रेणी में रखा गया है. इन मामलों में किशोर के विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं कर सिर्फ अपराध की सूचना स्टेशन डायरी में दर्ज होगी. इन मामलों में थाने के बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी इन मामलों में बालक की सामाजिक पृष्ठभूमि की रिपोर्ट के साथ उनके द्वारा किये गये तथाकथित अपराध की जानकारी किशोर न्याय परिषद (जेजेबी) को भेजेगा.
  3. सात साल से अधिक सजा वाले मामले जघन्य श्रेणी में रखे जायेंगे. ऐसे मामलों में किशोर द्वारा स्वयं या किसी वयस्क के साथ मिल कर किये गये अपराध की एफआइआर दर्ज होगी. एफआइआर के साथ ही तुरंत मामले को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को सौंपा जायेगा. एफआइआर की एक प्रति बच्चे, माता-पिता या उसके संरक्षक को दी जायेगी.

24 घंटे में बोर्ड के समक्ष रिपोर्ट के साथ होगी पेशी

मुख्यालय ने कहा है कि कानून तोड़ने के आरोप में पकड़े गये अव्यस्क बालकों को 24 घंटे के भीतर पुलिस द्वारा उस बालक को पकड़े जाने के कारण स्पष्ट करने वाली रिपोर्ट के साथ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करना होगा. ऐसे बच्चों को न तो लॉकअप में रखा जायेगा और न ही उनको हथकड़ी लगाई जायेगी. बच्चों को बाल सुलभ वातावरण युक्त कमरे में रखा जायेगा. साथ ही बच्चे को नि:शुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार को सूचित किया जायेगा. किशोरों के साथ वयस्कों की संलिप्तता वाले मामलों में भी बच्चे से संबंधित एसबीआइ, डायरी, फाइनल फॉर्म तथा अन्य संबंधित दस्तावेज हमेशा संबंधित किशोर न्याय बोर्ड में ही जमा करेंगे.

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