Bihar News: बिहार में अब पुलों का बनेगा हेल्थ कार्ड, AI से होगी जांच

Bihar News: बिहार के डिप्टी सीएम और पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बीते दिन पुल संधारण नीति एवं इससे संबंधित कार्यों के लिए, अभियंताओं के कर्तव्य एवं उनके उत्तरदायित्व को लेकर उच्च स्तरीय बैठक किया. इसमें पुलों के रख रखाव को लेकर नीति निर्धारित करने के निर्देश दिए गए. साथ ही पुलों के हेल्थ कार्ड बनाने की भी चर्चा हुई. पढ़ें पूरी खबर…

By Aniket Kumar | January 26, 2025 1:55 PM

Bihar News: बिहार में बीते कुछ महीनों में कई पुल गिरे. इसको लेकर सरकार को कई बार विपक्ष ने जमकर घेरा. अब पुलों के रख रखाव और जांच को लेकर नीति तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं. दरअसल, उपमुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि राज्य में विभाग के अंतर्गत बने पुलों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच यानी ऑडिट कराकर हेल्थ कार्ड बनाया जायेगा. इससे पुलों की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिलेगी. वर्तमान में पथ निर्माण विभाग में कोई पुल रखरखाव नीति नहीं है और न ही इंजीनियरों का कर्तव्य व उत्तरदायित्व स्पष्ट रूप से निर्धारित है.

पुलों के रखरखाव को लेकर तैयार हो नीति

उन्होंने आगे कहा कि विभागीय पदाधिकारियों को पुलों के रखरखाव की नीति तैयार करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही इंजीनियरों के कर्तव्य और दायित्व भी निर्धारित किए जायेंगे. उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने ये बातें शनिवार को पुल संधारण नीति सहित अभियंताओं के कर्तव्य व उत्तरदायित्व निर्धारण पर उच्चस्तरीय बैठक के दौरान कही. इसका आयोजन विभागीय मीटिंग हॉल में किया गया था. इससे पहले विभागीय पदाधिकारियों ने इसको लेकर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया. डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि सीएम नीतीश के मार्गदर्शन में आमजनों को सुगम यातायात उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है. विभाग इस दिशा में प्रयासरत है.

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पुलों को चार भाग में बांटा गया

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पुल संरचना के संपूर्ण जीवनकाल के दौरान दो चरणों में इनके प्रबंधन और रखरखाव पर विचार किया जा रहा है. पुलों को चार भागों में बांटा गया है. पहले भाग 1000 मीटर से लंबे पुल, दूसरे भाग में 250-1000 मीटर लंबे पुल, तीसरे भाग में 60-250 मीटर और चौथे भाग में 60 मीटर से छोटे पुलों को रखा गया है. पुलों के प्रबंधन के लिए पुलों के वास्तविक स्थिति का जायजा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, सेंसर डाटा रिपोर्ट जैसी नयी तकनीकों के माध्यम से किया जायेगा.

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