Bihar News: करंट लगने से बिहार में हर रोज जा रही एक जान, गुजरात की फैक्ट्रियों में हो रही सबसे अधिक मौतें
Bihar News: केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में बिजली की चपेट में आने से औसतन रोजाना एक की मौत हो रही है. हालांकि, बिजली के करंट से मौत मामले में बिहार देश में चौथे नंबर पर है.
Bihar News: पटना. बिहार में डूबने के अलावा सबसे अधिक मौतें बिजली के करंट से हो रही हैं. इंसान ही नहीं जानवर भी इसके शिकार हो रहे हैं. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में बिजली की चपेट में आने से औसतन रोजाना एक की मौत हो रही है. हालांकि, बिजली के करंट से मौत मामले में बिहार देश में चौथे नंबर पर है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण रिपोर्ट के अनुसार, देश में 14 हजार 318 लोग बिजली की चपेट में आये हैं. इनमें 6,154 लोगों की मौत हो गई, जबकि 2,398 जख्मी हुए. वहीं 5,728 जानवरों की जान चली गई.
सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में
देश में बिजली की चपेट में आने से सबसे ज्यादा मौत उत्तर प्रदेश में हुई हैं. यूपी में सबसे अधिक 1,325 लोगों की मौत, जबकि 487 जख्मी हो गए. दूसरे पायदान पर महाराष्ट्र में 562 की मौत तथा 517 लोग जख्मी हुए. कर्नाटक में 504 की जान गई तो 243 लोग जख्मी हुए. बिहार में बिजली की चपेट में आने से 253 लोगों की जान गई तो 08 जख्मी हुए है.
गुजरात की फैक्ट्रियों में सबसे अधिक मौतें
रिपोर्ट के मुताबिक, फैक्ट्रियों में करंट लगने से कुल 175 लोगों की जान गई, जबकि 66 जख्मी हुए. इनमें से सबसे ज्यादा 35 लोगों की मौत गुजरात में हुई है. इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर आता है. यहां 54 लोगों ने दम तोड़ा है. इसके बाद मेघालय में 16, राजस्थान में 10, तामिलनाडु में 3 लोगों की मौत हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, करंट की चपेट में आने से जानवरों की भी मौत हो रही है. सबसे अधिक यूपी में 1,979 जानवर की मौत हुई है. तो वहीं महाराष्ट्र में 1,136 जानवरों ने दम तोड़ा है.
बिहार में हादसों की संख्या में आयी कमी
साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक महेंद्र कुमार ने कहा कि पूर्व के वर्षों की तुलना में बिहार में बिजली से होने वाले हादसों में कमी आई है. जर्जर एलटी व एचटी तारों को बदलने के लिए 3802.63 करोड़ खर्च किए गए. उन्होंने बताया कि 33 केवी के 2730 सर्किट किलोमीटर, 11 केवी में 36 हजार 860 सर्किट किलोमीटर और लो-टेंशन के 47 हजार 744 सर्किट किलोमीटर यानी कुल 87 हजार 334 सर्किट किमी तार बदले गए.