बिहार के स्कूलों अब छात्रों के लिए नहीं होगा इन शब्दों का इस्तेमाल, शिक्षा विभाग का कड़ा निर्देश

Bihar News: प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने इस संबंध में सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि स्कूलों में छात्रों के नामों का मजाक उड़ाना या उन्हें तोड़-मरोड़ कर बोलना भी प्रतिबंधित होगा.

By Ashish Jha | October 21, 2024 11:21 AM
an image

Bihar News: पटना. बिहार के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षक छात्रों के लिए गदा, उल्लू या मंदबुद्धि जैसे आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग नहीं कर पायेंगे. शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सरकारी शिक्षकों के लिए कड़ा दिशा-निर्देश जारी किया है. प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने इस संबंध में सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि स्कूलों में छात्रों के नामों का मजाक उड़ाना या उन्हें तोड़-मरोड़ कर बोलना भी प्रतिबंधित होगा.

आत्म-सम्मान को पहुंचती है ठेस

कई बार स्कूलों में शिक्षक और छात्र बच्चों का उपनाम रख लेते हैं, जैसे पढ़ाई में कमजोर छात्र को गधा या उल्लू कमजोर याददाश्त वाले छात्र को मंदबुद्धि आदि कहकर पुकारा जाता है. इसके अलावा कुछ शिक्षक बच्चों के नाम भी बिगाड़कर बुलाते हैं. जैसे-आलोक को आलोकवा आदि. इससे छात्रों के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है और इसका उनकी शैक्षणिक क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है. शिक्षा विभाग ने अब पूरी तरह से इन शब्दों पर रोक लगाने का निर्देश दिया है.

कमजोर छात्र भी बनेंगे मॉनीटर

इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में कक्षा में पढ़ाई में तेज छात्र ही नहीं, बल्कि कमजोर छात्रों को भी मॉनीटर बनाया जाएगा. मॉनीटर का चयन रोटेशन पद्धति से होगा. जिससे हर महीने किसी तेज छात्र और फिर किसी कमजोर छात्र को मॉनीटर बनने का मौका मिलेगा. मॉनीटर उन छात्रों से संपर्क करेगा जो स्कूल नहीं आते और उन्हें स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जबकि कक्षा में मध्यांतर (टिफिन का समय) स्कूल छोड़नेवाले छात्रों पर रोक लगेगी.

Also Read: Bihar Land Survey: नाकाफी रही ट्रेनिंग, सरकार सर्वे कर्मियों को अब देगी कैथी लिपि की किताब

छात्र बतायेंगे शिक्षकों की कमियां

सरकारी स्कूलों में होनेवाली अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी में अबतक शिक्षक ही संबंधित कक्षा के छात्रों की क्लास में विकास की रिपोर्ट प्रस्तुत करते थे, लेकिन अब छात्र भी अपने शिक्षकों की खूबियां और कमियों को उजागर करेंगे.इससे एक ओर संबंधित स्कूल के प्रधानाध्यापक समेत अन्य अधिकारियों को शिक्षकों द्वारा छात्रों पर दिये जा रहे ध्यान और उनके शैक्षणिक स्तर का आकलन करेंगे तो दूसरी ओर जिन शिक्षकों को और ज्यादा प्रशिक्षण की जरूरत होगी उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

Exit mobile version