पटना: राज्य में लंबित पड़े एससी-एसटी मामलों का निबटारा 20 सितंबर तक करने का टास्क मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में दिया था. एससी-एसटी अत्याचार निवारण एक्ट के अंतर्गत गठित कमेटी की राज्य स्तरीय समीक्षा के दौरान सीएम ने यह आदेश दिया था. इसके मद्देनजर सिर्फ इन्हीं मामलों की सुनवाई के लिए नौ जिलों में एक्सक्लुसिव कोर्ट बनाने का निर्णय लिया गया है. राज्य सरकार के स्तर से इसका प्रस्ताव तैयार हो गया है और अब हाइकोर्ट को अंतिम स्तर पर अनुमति के लिए भेजा जायेगा.
जिन नौ जिलों में कोर्ट का गठन होने का प्रस्ताव है, उनमें दरभंगा, समस्तीपुर, सारण, भोजपुर, नालंदा, रोहतास, वैशाली, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण और नवादा जिले शामिल हैं. ये वे जिले हैं, जहां एससी-एसटी अपराध के लंबित मामलों की संख्या काफी ज्यादा है. अभी पांच जिलों पटना, मुजफ्फरपुर, गया, बेगूसराय और भागलपुर में ये कोर्ट चल रहे हैं. नये कोर्ट का गठन होने के बाद इन मामलों की सुनवाई के लिए गठित एक्सक्लुसिव कोर्ट की संख्या 14 हो जायेगी.
राज्य में एससी-एसटी के पहले से चले आ रहे लंबित मामलों की संख्या 700 से ज्यादा है. वहीं, इस वर्ष के लंबित पड़े मामलों की संख्या करीब तीन हजार 300 के आसपास है. इस तरह लंबित पड़े मामलों की कुल संख्या करीब चार हजार है. इससे पहले सीआइडी महकमा ने विशेष अभियान चलाकर करीब पांच हजार मामलों का निबटारा किया था.
Also Read: COVID-19 Bihar: कोरोना को मात देने में बिहार टॉप पर, रिकवरी रेट राष्ट्रीय औसत से 13 फीसदी अधिक, मिले 1555 नये मामले
बिहार देश का पहला राज्य हैं, जहां के सभी 40 पुलिस जिलों में एससी-एसटी मामले दर्ज करने के लिए विशेष थाना गठित है. यहां इससे संबंधित प्रत्येक महीने औसतन 700 मामले दर्ज होते हैं. इस तरह से सालाना औसतन करीब आठ से साढ़े आठ हजार मामले दर्ज होते हैं. यह देश में सबसे ज्यादा है और यहां निबटारे की दर भी सबसे ज्यादा है. इसमें करीब 10 फीसदी मामले फॉल्स साबित होने के कारण थाना स्तर पर ही समाप्त हो जाते हैं. शेष 90 फीसदी मामलों में चार्जशीट होते हैं. इसमें गवाह की समस्या समेत अन्य कई कारणों से मामले लंबित रह जाते हैं.
Published by : Thakur Shaktilochan Shandilya