बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को प्राथमिकता के आधार पर अमलीजामा पहनाने की तैयारी शुरू हो गयी है. इसके तहत आने वाले दिनों में तमाम विभागों में सभी स्तर के भ्रष्ट लोकसेवकों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया तेज होने जा रही है. तय नियमों के अंतर्गत ऐसे लोगों पर ट्रैप के अलावा डीए (आय से अधिक संपत्ति) केस के तहत कार्रवाई की जायेगी. बिहार में भ्रष्ट अफसर और कर्मचारी पर लगाम से जुड़ी हर News in Hindi से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.
राज्य सरकार ने संबंधित विभागों को विशेष निर्देश देते हुए उन्हें ऐसे कर्मचारियों और पदाधिकारियों की पहचान कर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है. ऐसी कार्रवाई के लिए खासतौर से राज्य में गठित तीन एजेंसियों निगरानी ब्यूरो, विशेष आर्थिक इकाई (एसवीयू) और आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की भूमिका सर्वोपरि है. इसके अलावा पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत राज्य के जिन अपराधियों या नक्सलियों के मामले की जांच चल रही है. उनकी सभी अवैध संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया तेज करने का अनुरोध किया गया है. इस वर्ष की शुरुआत में कोरोना संक्रमण का खतरा काफी बढ़ने की वजह से मार्च अंत से करीब चार महीने तक लॉकडाउन ही लगा रहा. इसके बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गयी. इन कारणों से सूबे में भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ ट्रैप या डीए की कार्रवाई नहीं हो सकी, बीच में एक-दो मामलों को छोड़कर.
सभी सरकारी विभागों के अलावा इस बार जिला, अनुमंडल, प्रखंड और थाना स्तर पर सभी कर्मचारियों और पदाधिकारियों पर खासतौर से नजर रखने के लिए कहा गया है. अनुमंडल, प्रखंड और पंचायत स्तरीय कार्यालों में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की शिकायत काफी मिलती रहती है. इस वजह से निचले और आम लोगों से सीधे जुड़े सरकारी कार्यालयों में खासतौर से नजर रखने के लिए कहा गया है, ताकि आम लोगों को अपना काम कराने में समस्या नहीं हो.
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भ्रष्टाचार से जुड़ी किसी तरह की शिकायत करने के लिए हाल में निगरानी ब्यूरो ने पहली बार हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. यह नंबर 24 घंटे काम करेगा. इस पर राज्य में किसी स्थान से कोई भी व्यक्ति सीधे निगरानी को किसी के बारे में शिकायत कर सकते हैं. उनका नाम समेत सभी जानकारी गुप्त रखते हुए संबंधित कर्मी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. आम लोगों से भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायत प्राप्त करने के लिए अन्य स्तर पर भी पहल की जा रही है.
-इडी ने छह नवंबर को पीएमसीएच दवा घोटाले में तीन डॉक्टर और दो सप्लायरों की सवा तीन करोड़ से ज्यादा की अवैध संपत्ति जब्त की थी.
-एक सप्ताह पहले निगरानी ब्यूरो ने मुजफ्फरपुर के कांटी अंचल में तैनात कर्मचारी अशोक कुमार के खिलाफ डीए के केस में छापेमारी की थी, जिसमें लाखों कैश समेत संपत्ति के अन्य कागजात मिले.
-दिसंबर, 2019 में ग्रामीण कार्य विभाग के एक्जिक्यूटिव इंजीनियर अरविंद प्रसाद के यहां छापेमारी हुई थी. उन्होंने करोड़ों रुपये जलाकर टॉयलट में फ्लैश कर दिया था. निगरानी ने इन पर बड़ी कार्रवाई की थी.
-निगरानी ब्यूरो ने मार्च, 2020 में भागलपुर के जिला आपूर्ति पदाधिकारी देवेंद्र कुमार दर्द के खिलाफ 78 लाख से ज्यादा का डीए केस दर्ज किया था. पटना, भागलपुर समेत अन्य ठिकानों पर छापेमारी में 30 लाख कैश, गहने समेत संपत्ति के कागजात मिले थे.
-मार्च, 2020 में निगरानी ब्यूरो ने सहायक शिक्षक मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ डीए केस किया था. इनके फुलवारीशरीफ, औरंगाबाद समेत अन्य ठिकानों पर हुई छापेमारी में करीब 15 लाख कैश और 15 स्थानों पर अवैध संपत्ति के कागजात मिले.
भ्रष्ट लोकसेवकों पर कार्रवाई करने के लिए पहले से ही सरकार के स्तर से विस्तृत निर्देश जारी हैं. इसके तहत ही ऐसे लोगों पर आगे भी कार्रवाई होगी.
आमिर सुबहानी (अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग सह गृह विभाग)
(पटना से कौशिक रंजन की रिपोर्ट)
Posted by: Thakur Shaktilochan