Bihar News: पटना. बिहार में करीब सात हजार करोड़ से बननेवाली सड़क को आगे बढ़ने का रास्ता नहीं मिल रहा है. जमीन के अभाव में पिछले दो साल से ये सड़क एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पायी हैं. दो साल से वहीं ये परियोजनाएं अटकी हुई हैं. बिहार में लगभग डेढ़ दर्जन ऐसी परियोजनाएं हैं, जिसकी मंजूरी दो साल पहले मिली है. इसमें से कई की निविदाएं होने के साथ ही एजेंसी का भी चयन हो चुका है, लेकिन जमीन के अभाव में इसका काम शुरू नहीं हो पा रहा है. इन परियोजनाओं की लंबाई लगभग 300 किलोमीटर है.
एजेंसी नहीं कर पा रही है कोई काम
पथ निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अमदाबाद-मनिहारी का जीर्णोद्धार और चौड़ीकरण होना है. जमीन नहीं मिलने के कारण एक बार इस एजेंसी को हटाया जा चुका है. दरभंगा-बनवारी पट्टी चार लेन का निर्माण होना है. काम अवार्ड हो चुका है, लेकिन एजेंसी सेकरार जमीन के अभाव में नहीं हो पा रहा है. रामनगर-रोसड़ा की भी निविदा हो चुकी है. लेकिन, जमीन मालिकों को धीमी गति से पैसा दिए जाने के कारण एजेंसी काम शुरू नहीं कर पा रही है. एकंगरसराय में आरओबी का निर्माण के लिए एजेंसी का चयन हो चुका है, लेकिन यहां भी काम शुरू नहीं हो पा रहा है.
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विभाग नहीं कर पा रहा एजेंसी से करार
गया बाइपास के लिए चयनित एजेंसी से विभाग करार नहीं कर पा रहा है. दाउदनगर, नासरीगंज और दावथ बाईपास का काम भी अवार्ड हो चुका है, लेकिन एजेंसी से करार नहीं हो सका है. चौसा-बक्सर बाईपास, कटोरिया, लखपुरा, बांका और पंजवारा बाइपास, सरवन-चकाई, भागलपुर-खरहरा-ढाका मोड़, शेखपुरा, जमुई और खैरा बाईपास, केन्दुआ, झाझा, नरगंजो, मानगोबंदर बाईपास, मुक्तापुर-किशनपुर के बीच आरओबी, जंदाहा बाजार बाईपास, लालगंज-गणपतंज और मेहरौना घाट सीवान सड़क का काम भी जमीन के अभाव में अटका हुआ है.