Bihar News: पानी में डूबे हुए लोगों की तलाश करेगा ये खास डिवाइस, फोटो खींचने से लेकर भार उठाने की है क्षमता
Bihar News: आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इसके खरीद की कवायद शुरू कर दी है. दो कंपनियों ने अपने यंत्रों का ट्रायल दिया है. इसे तकनीकी रूप से और उन्नत करने को कहा गया है. इसके बाद इसे खरीदने पर विचार किया जाएगा.
Bihar News: पटना. बिहार में अब पानी डूबे लोगों की तलाश के लिए गोताखोरों का इंतजार नहीं करना होगा. इस काम के लिए एक खास तरह का डिवाइस तैयार किया गया है जो डूबे हुए व्यक्ति की तलाश करेगा. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इसकी कवायद शुरू कर दी है. दो कंपनियों ने अपने यंत्रों का ट्रायल दिया है. इसे तकनीकी रूप से और उन्नत करने को कहा गया है. इसके बाद इसे खरीदने पर विचार किया जाएगा.
दो कंपनियों से दिया ट्रायल
बिहार में डूबने से हर साल करीब 2 हजार लोगों की मौत होती है. वर्तमान में गंगा, कोसी जैसी नदियों में किसी व्यक्ति के डूबने के बाद गोताखोर उसकी तलाश करते हैं. इनकी तलाश में घंटों लग जाते हैं. कई दिनों तक तलाश के बाद भी कई बार शव नहीं मिल पाती है. इसलिए प्राधिकरण ने तकनीक की मदद लेने का निर्णय लिया है. इसके लिए दो कंपनियों ने अपने यंत्र और उपकरण का ट्रायल दिया है. इसमें एक यूसेफ और दूसरा आरओयूवी है.
सिर्फ तलाश ही नहीं करेगा, सुरक्षित भी लाएगा
रिमोट की मदद से पानी में संचालित होनेवाले दोनों उपकरणों को कई मानकों पर परखा जा रहा है. एक यंत्र यूसेफ घटना स्थल पर तुरंत पहुंचकर व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर लाने में सक्षम है. यह उपकरण 300 मीटर से लेकर तीन किलोमीटर तक की दूरी तक कार्यकर सकता है. इसकी मदद से 180 से 200 किलोग्राम तक के भार को लाया जा सकता है. दूसरा उपकरण आरओयूवी है. यह पानी की गहराई तक जाकर लाइव फुटेज भेजने में सक्षम है. इसमें उच्च क्षमता के दो कैमरे लगे हैं. यह अंधेरे और मटमैलेपानी में भी 6000 ल्यूमेन की प्रकाश व्यवस्थ के साथ फोटो खींच सकता है.
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उपकरण को बनाया जायेगा और बेहतर
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दो दिन पहले इसका ट्रायल लिया है. पहले चरण के ट्रायल में दोनों उपकरणों को तकनीकी रूप से और बेहतर बनाने को कहा गया है. किसी चीज के टकराने से बचने के उपाय करने को कहा है ताकि यह और प्रभावी ढंगे से काम कर सके. दरअसल, वर्तमान में गोताखोर गहराई में जाकर कम ही दूरी में तलाश कर पाते हैं. यंत्र और उपकरण की मदद से गोताखोरों को तकनीक से लैस किया जाएगा. ट्रायल सफल होने के बाद इन उपकरणों की खरीद होगी. इसे एसडीआरएफ और एनडीआरएफ को दिया जा सकेगा.
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