महाराष्ट्र के युवक को अवैध हिरासत में रखने वाले पुलिस अफसरों पर कार्रवाई बनेगी नजीर, बिहार मानवाधिकार आयोग ने दिया फैसला
Bihar Human Rights Commission बिहार मानवाधिकार आयोग के सदस्य उज्जवल कुमार दुबे ने महाराष्ट्र निवासी अल्पसंख्यक युवक को अवैध रूप से हिरासत में रखने के मामले पर गंभीर रुख अपनाया है. डीएसपी, इंस्पेक्टर सहित सभी दोषी पुलिस कर्मियों पर ऐसी कठोर कार्रवाई करने का आदेश दिया है जो पुलिस के लिये नजीर बन सके.
Bihar Human Rights Commission बिहार मानवाधिकार आयोग के सदस्य उज्जवल कुमार दुबे ने महाराष्ट्र निवासी अल्पसंख्यक युवक को अवैध रूप से हिरासत में रखने के मामले पर गंभीर रुख अपनाया है. डीएसपी, इंस्पेक्टर सहित सभी दोषी पुलिस कर्मियों पर ऐसी कठोर कार्रवाई करने का आदेश दिया है जो पुलिस के लिये नजीर बन सके.
किसी को अवैध रूप से गिरफ्तार और जेल न भेज सके इसके लिये तंत्र विकसित करने की भी आशा प्रकट की है. साथ ही पीड़ित की डॉक्टर मां (परिवादी) के खाते में पांच लाख रुपये 11 फरवरी से पहले जमा करने का भी आदेश दिया है.
वहीं, पीड़ित डॉ नुसरत एजाज शेखर ने कहा है कि वह बिहार कभी नहीं आयीं महाराष्ट्र की औरत हैं, लेकिन आयोग के इस फैसले से बहुत खुश हैं. इंसाफ देने के लिये बिहार को धन्यवाद देती हैं.
मामला पश्चिमी चंपारण के थाना साठी क्षेत्र की एक घटना से जुड़ा हुआ है. बेतिया के साठी थाना में छह अक्टूबर 18 को बलात्कार, धोखाधड़ी और शांति भंग आदि संगीन धाराओं में केस (162/18) दर्ज हुआ था. इसमें महाराष्ट्र के पुणे जिला के थाना समार्थ क्षेत्र के साइकिल सोसाइटी निवासी एजाज शेखर को प्राथमिकी में नाम होने के आधार पर ही गिरफ्तार कर लिया.
घटना की जांच किये बिना ही जेल भेज दिया था़ वहीं कांड संख्या 162/18 की जांच हुई तो मामला झूठा पाया गया. एक अप्रैल 2019 को कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट भी भेज दी. पुलिस की लापरवाही से एजाज शेखर को 26 मार्च 19 से 17 जुलाई 19 तक जेल में रहना पड़ा. बेटे एजाज के उत्पीड़न के खिलाफ छह नवंबर 19 को बिहार मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करायी.
घटना व्यवस्था से विश्वास समाप्त करने वाली, मुख्य सचिव से मांगी रिपोर्ट
बीएसआरसी के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने मामला की सुनवाई कर बुधवार को फैसला दिया है. आदेश में कहा है कि मामला पुलिस द्वारा एक नवयुवक को साजिश से फंसाकर अनावश्यक रूप से 16 जून 2019 से 17 जुलाई 19 तक अवैध रूप से अभिरक्षा में रखने का प्रतीत होता है. पुलिस का यह काम सभ्य समाज और कल्याणकारी राज्य के लिये पूरी तरह अस्वीकार है.
इस अपराध के लिये दोषी पुलिस पदाधिकारी पर केवल विभागीय कार्रवाई किये जाने से अल्पसंख्यक समुदाय के युवक का पुलिस व्यवस्था से विश्वास समाप्त हो जाता है. सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने मुख्य सचिव से असत्य अभियोग में करीब तीन माह तक युवक के मानवाधिकार का हनन करने के के इस मामले में रिपोर्ट मांगी. 21 सितंबर 20 को गृह विभाग ने बताया कि पीड़ित को वित्तीय राहत देने में सरकार को आपत्ति नहीं है. नुसरत एजाज शेखर ने 18 लाख रुपये का मुआवजा मांगा.
इन अफसरों पर होगी कठोरतम कार्रवाई
आयोग ने कहा है कि सरकार ऐसा तंत्र विकसित करेगी जिससे ऐसे मामले में किसी नागरिक को दो-चार न होना पड़े. इस केस में नरकटियागंज के तत्कालीन एसडीपीओ निसार अहमद, अन्वेषण करने वाले दारोगा विनोद कुमार सिंह और सिपाही कृष्ण कुमार पर कठोरतम कार्रवाई की जाये जो आगे चलकर नजीर बन सके.
Upload By Samir Kumar