बिहार में आधी रात को लिया जायेगा आपके खून का सैंपल, सरकार इस बीमारी का लगा रही पता

Bihar News: आम लोगों के बीच हाथी पांव नाम से पहचानी जानेवाली इस बीमारी से संक्रमित मरीज बिहार के सभी 38 जिलों में मिले हैं. बिहार में फाइलेरिया से जुड़ी लिम्फोडेमा के 1.60 लाख और हाइड्रोसील के 22 हजार केस मिले हैं. केंद्र सरकार ने 2027 तक फाइलेरिया की बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है.

By Ashish Jha | October 30, 2024 1:48 PM

Bihar News: पटना. बिहार के 24 जिलों में छठ के बाद नाइट ब्लड सर्वे का अभियान चलाया जायेगा. इसके तहत रात 8.30 बजे से आधी रात 12 बजे तक 20 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का रैंडम तरीक से ब्लड सैंपल लिया जाएगा. रात में खून की जांच का नमूना लेने के इस अभियान से सरकार को यह पता करने में मदद मिलेगी कि लिम्फ़ैटिक फाइलेरियासिस (एलिफ़ैंटियासिस) का संक्रमण कितना फैल रहा है. आम लोगों के बीच हाथी पांव नाम से पहचानी जानेवाली इस बीमारी से संक्रमित मरीज बिहार के सभी 38 जिलों में मिले हैं. बिहार में फाइलेरिया से जुड़ी लिम्फोडेमा के 1.60 लाख और हाइड्रोसील के 22 हजार केस मिले हैं. केंद्र सरकार ने 2027 तक फाइलेरिया की बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है.

15 नवंबर से 30 नवंबर के बीच चलेगा ब्लड सैंपल सर्वे

फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉक्टर परमेश्वर प्रसाद ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि 15 नवंबर से 30 नवंबर के बीच यह ब्लड सैंपल सर्वे चलेगा. उन्होंने बताया कि खून का नमूना 20 साल से ऊपर के लोगों से रात 8.30 बजे से 12 बजे के बीच लिया जाएगा. 24 जिलों के अंदर 350 यूनिट इस अभियान में जुटेगी. ब्लड सैंपल को 7 दिसंबर तक जमा करना है और 30 दिसंबर तक नमूनों की जांच हो जाएगी. रात में चलनेवाले इस सर्वेक्षण के नतीजों से यह तय होगा कि फरवरी में किन-किन जिलों में दवाओं की डोज देने का अभियान चलेगा.

Also Read: Bihar Land Survey: नाकाफी रही ट्रेनिंग, सरकार सर्वे कर्मियों को अब देगी कैथी लिपि की किताब

बिहार में 38 जिले फाइलेरिया ग्रस्त

डॉक्टर प्रसाद ने कहा कि बिहार के 38 फाइलेरिया ग्रस्त जिलों में अररिया को छोड़कर बाकी 13 जिलों में अगस्त में ही आम लोगों को डोज दिया जा चुका है. अररिया के सारे प्रखंडों में माइक्रो फाइलेरिया की प्रसार दर एक फीसदी से नीचे आ गई है. किशनगंज और मधेपुरा जिले में एक-एक ब्लॉक को छोड़ दें तो वहां भी ये रेट एक फीसदी से कम हो गई है. उन्होंने बताया कि इस सर्वे से यह भी पता चलेगा कि पहले जो दवा दी गई, उसका असर कैसा है. इन इलाकों में अगले साल फरवरी से एंटी फाइलेरियल ड्रग्स का डोज आम लोगों को अभियान चलाकर दिया जाएगा. बिहार में 2004 से यह दवा हर साल लोगों को दी जा रही है.

Next Article

Exit mobile version