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Bihar: केके पाठक का एक और फैसला पलटा, अब नहीं कटेगा एब्सेंट स्टूडेंट का स्कूल से नाम

Bihar: शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने केके पाठक के फैसलों को पलटना शुरू कर दिया है. एस सिद्धार्थ ने जहां यूनिवर्सिटी के खातों पर लगे बैन को हटा दिया, वहीं उन्होंने केके पाठक के एक और फैसले को पलट दिया है. अब एब्सेंट स्टूडेंट का स्कूल से नाम नहीं काटा जायेगा.

Bihar: पटना. शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण करने के साथ ही एस सिद्धार्थ ने केके पाठक के फैसलों को पलटना शुरू कर दिया है. एक एक कर वो केके पाठक के फैसले को बदल रहे हैं. राजभवन में आहूत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक के बाद एस सिद्धार्थ ने जहां यूनिवर्सिटी के खातों पर लगे बैन को हटा दिया, वहीं उन्होंने केके पाठक के एक और फैसले को पलट दिया है. अब एब्सेंट स्टूडेंट का स्कूल से नाम नहीं काटा जायेगा. शिक्षा विभाग के इस फैसले से सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जतायी जा रही है.

केके पाठक के आदेश में बढ़ी थी स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति

शिक्षा विभाग के तत्कालीन एसीएस केके पाठक ने सख्त आदेश जारी किया था कि जो बच्चे बिना किसी सूचना के तीन दिन या उससे अधिक स्कूल से अनुपस्थित रहेंगे, उनका नाम स्कूल से काट दिया जाएगा. केके पाठक के इस आदेश पर बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों का नाम काट दिया गया था. इसके बाद सरकारी स्कूलों में बच्चों की रिकार्ड उपस्थिति दर्ज होने लगी. बच्चों के आगे स्कूल की आधारभूत संरचना कम पड़ने लगी. स्कूल प्रशासन के लिए एक साथ सभी बच्चों को बैठाना संभव नहीं हुआ तो कई स्कूलों में दो पालियों में कक्षाएं लगने लगी.

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नहीं काटा जायेगा किसी का नाम

केके पाठक के छुट्टी पर जाने के बाद अब शिक्षा विभाग के नये एसीएस एस सिद्धार्थ ने पाठक के उस आदेश को पलट दिया है. बिहार के सरकारी स्कूलों में अब तीन दिन या उससे अधिक दिनों तक अनुपस्थित रहने वाले छात्र-छात्राओं का नाम नहीं काटा जाएगा. अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने इसको लेकर सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों को आदेश जारी किया है. शिक्षा विभाग ने जिलों को निर्देश दिया है कि किसी भी कारण से जो बच्चे स्कूल नियमित रूप से नहीं आ रहे हैं उनका नाम नहीं काटा जाए. अगर किसी कारण से बच्चा स्कूल नहीं आ रहे है तो शिक्षक, हेडमास्टर और टोला सेवक बच्चे के घर जाकर उसके अभिभावक से मिलें और बच्चे को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें.

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