Bihar: पटना. बीमार पशुओं को अब अस्पताल ले जाने की मजबूरी नहीं रहेगी. बिहार में अक्टूबर तक सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है कि बीमार पशुओं को देखने डॉक्टर ही आपके घर आयेंगे. पशुपालकों के दरवाजे पर ही गाय, भैंस सहित अन्य पशुओं के इलाज की सुविधा मिलेगी. इसके लिए सरकार ने पुख्ता तरीके से तैयारी कर ली है. पशु व मत्स्य संसाधन विभाग प्रत्येक प्रखंड में एक-एक पशु एंबुलेट्री वैन की खरीद करने जा रही है. यह मोबाइल पशु चिकित्सा क्लीनिक का काम करेगी. प्रत्येक एंबुलेट्री वैन में एक पशु चिकित्सक, पशु चिकित्सा सहायक और एक ड्रा इवर कम अटेंडेट होंगे. जिनकी संविदा पर नियुक्ति होगी. जिसकी प्रक्रिया जल्द शुरू होगी. यह काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय पार्ट 2 के तहत होगा.
534 पशु चिकित्सकों की होगी नियुक्त
पशु व मत्स्य संसाधन विभाग के पदाधिकारी के अनुसार संविदा पर सभी प्रखंडों के लिए 534 पशु चिकित्सक नियुक्त होंगे. उनको प्रति माह 65 हजार मानदेय मिलेगा. पशु चिकित्सा सहायक और एंबुलेट्री वैन चलाने के लिए ड्राइवर चयनित एजेंसी के माध्यम से लिया जाएगा. टोल फ्री नंबर से पशु के बीमार होने की सूचना मिलते ही एंबुलेट्री वैन पशुपालकों के द्वार पर पहुंच जाएगी. इस योजना के लिए 355 करोड़ का प्रावधान किया गया है. एक एंबुलेट्री वैन की कीमत 16 लाख रुपये है. सात निश्चय पार्ट 2 के तहत इस योजना का क्रियान्वयन किया जाना है. पशु व मत्स्य संसाधन विभाग ने इसके लिए तैयारी तेज कर दी है. एंबुलेट्री वैन संचालन में केंद्र और राज्य सरकार दोनों की भूमिका है। 307 प्रखंडों में केंद्र सरकार जबकि 207 प्रखंडों में राज्य सरकार के माध्यम से एंबुलेट्री वैन की खरीद की जा रही है. 20 वैन राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत खरीदी जाएगी.
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टीकाकरण में मिलेगी मदद
पशुओं को विभिन्न रोगों के बचाव के लिए टीकाकरण योजना क्रियान्वयन में भी मदद मिलेगी. समय पर टीकाकरण कार्य पूरा करने में इससे काफी मदद मिलेगी. एंबुलेट्री वैन पशुओं का टीकारण सुरक्षित तरीके से पहुंचाने में सहायक होगी. इतना ही नहीं एंबुलेट्री वैन में माइक्रोस्कोप सहित पशुओं के इलाज के लिए जरूरी उपकरण भी रहेंगे. पशुओं के इलाज के लिए सामान्य पैथोलॉजी की सुविधा रहेगी. आवश्यक दवाएं भी उपलब्धता रहेंगी. कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा भी होगी. इससे कृत्रिम गर्भाधान के लिए पशुओं को पशु अस्पताल लाने की आवश्यकता नहीं होगी. पशुपालकों को जागरूक करने के लिए आडियो-विजुअल विज्ञापन के साथ जीपीएस ट्रैकिंग की भी व्यवस्था होगी.