पंचायत चुनाव को लेकर इवीएम एम-तीन की खरीद में बाधा उत्पन्न हो गयी है. इवीएम नहीं रहने के कारण अब तक पंचायत चुनाव का प्रशिक्षण कार्य भी आरंभ नहीं हो सका है. आयोग पर निर्धारित समय पर पंचायत चुनाव की तैयारी का दबाव बढ़ता जा रहा है. सभी पंचायत व वार्डों की मतदाता सूची का प्रकाशन शुक्रवार (19 फरवरी) को कर दिया जायेगा.
बूथों के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में चल रही है. मतदाता सूची व बूथों की सूची तैयार होने के बाद पंचायत चुनाव को लेकर पदाधिकारियों, कर्मचारियों के साथ मतदाताओं का प्रशिक्षण कराया जाना है. इस चुनाव में मल्टी पोस्ट इवीएम के प्रयोग करने का तरीका बताना है. प्रशिक्षण की एक लंबी प्रक्रिया होती है जो अभी तक आरंभ भी नहीं की जा सकी है.
भारत निर्वाचन आयोग विधानसभा और लोकसभा चुनाव कराने की तैयारी छह माह पहले से ही आरंभ कर देता है. इसमें इवीएम की चेकिंग से लेकर प्रशिक्षण कार्य किया जाता है. पंचायत चुनाव कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के पास अभी तक इवीएम उपलब्ध नहीं हुआ है. इवीएम नहीं होने से प्रशिक्षण किस उपकरण से दिया जाये, यह समस्या है.
विशेषज्ञों का कहना है कि इवीएम से चुनाव कराने के लिए सबसे पहले छह माह पूर्व इवीएम की फस्ट लेवल चेकिंग (एफएसएल) करायी जाती है. इवीएम की एफएसएल कराने में दो माह का समय लगता है. शेष चार माह चुनाव कराने को लेकर पदाधिकारियों का कई स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाता है.
बिहार में पहली बार एक मतदाता को इवीएम के माध्यम से छह मतों का प्रयोग करना है. इसके लिए हर हाल में मतदाताओं का प्रशिक्षण कराना आवश्यक है. राज्य में 8386 ग्राम पंचायत और एक लाख 14 हजार वार्ड हैं.
Posted By: Thakur Shaktilochan