संक्रामक बीमारियों को झेलने से बिहार के लोगों की इम्यूनिटी मजबूत, कोरोना को दे रहे हैं मात
बिहार ने अतीत में बैक्टिरिया और वायरस के तमाम तरह के भयावह संक्रमण झेले हैं. संभवत: इसी वजह से बिहारवासियों के शरीर में एंटीबॉडीज विकसित हुई होगी, जिसने यहां के लोगों के रोग प्रतिरक्षण तंत्र (इम्यून सिस्टम) को प्राकृतिक तौर पर मजबूत किया है.
पटना : बिहार ने अतीत में बैक्टिरिया और वायरस के तमाम तरह के भयावह संक्रमण झेले हैं. संभवत: इसी वजह से बिहारवासियों के शरीर में एंटीबॉडीज विकसित हुई होगी, जिसने यहां के लोगों के रोग प्रतिरक्षण तंत्र (इम्यून सिस्टम) को प्राकृतिक तौर पर मजबूत किया है. लिहाजा बिहार में कोरोना से रिकवरी रेट 70 फीसदी से अधिक है. यह कहना है कि वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति और लाइफ साइंस विज्ञानी डॉ नंदकिशोर साह का. उनके प्रारंभिक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला है कि कोरोना से रिकवरी रेट उन क्षेत्रों या राज्यों में अच्छा है, जहां के लोगों ने पहले कई तरह के बैक्टिरियल संक्रमण झेले हैं. व्यापक अध्ययन अभी जारी है.
जवाहरलाल नेहरू विवि, नयी दिल्ली से स्कूल ऑफ लाइफ साइंस से डॉक्ट्रेट की डिग्री हासिल करने वाले डॉ नंद किशोर ने बताया कि यह एंटीबॉडीज एक प्रोटीन बनाता है, जो वायरस को नियंत्रित करता है. तेजी से फैलने वाला यह वायरस ‘ए’ ब्लड ग्रुप और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है. ऐसा क्यों है, यह अभी अनुसंधान का विषय है. उन्होंने अपने अध्ययन में पाया है कि कोरोना की घातकता के बाद भी इसका रिकवरी रेट खासतौर पर बिहार में बेहद उत्साहजनक है.
उनका कहना है कि कोविड-19 से डरने के बजाय बुद्धिमत्ता से लड़ना आवश्यक है. इसके बचाव के तरीके मसलन मास्क, साफ पानी और गुणवत्तापूर्ण भोजन इसका सबसे बड़ा बचाव है. डॉ नंद किशोर के मुताबिक सामान्य खांसी-बुखार इसके मुख्य लक्षण नहीं हैं, लेकिन इनके साथ दूसरे लक्षण दिखाई देने लगें तो डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. उदाहरण के लिए छींक के साथ नाक से तेजी से द्रव निकलना, सूंघने की शक्ति में कमी आना, भोजन ग्रहण करने में दिक्कत, स्वादहीनता, सांस की तकलीफ, खून के थक्के जमना और त्वचा पर लाल चकते और चेचक समान फफोले, किडनी और लिवर की क्रियाशीलता में कमी पर नजर रखनी चाहिए.