14 साल से नौकरी का केस लड़ रहे बिहार पुलिस के जवान ने दी हाइकोर्ट में आत्महत्या करने की धमकी…
पटना: प्रदेश के वरीय पुलिस पदाधिकारी हाइकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं और आदेश पालन कराने के लिए दायर याचिका पर हाइकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पा रही है. यह कहानी एक बिहार पुलिस के जवान की है, जिसने हाइकोर्ट में 2003 में अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका दायर की थी. हाइकोर्ट ने 19 अप्रैल, 2019 में याचिकाकर्ता को वेतन सहित सभी प्रकार की सुविधाएं देते हुए बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया था. हाइकोर्ट के आदेश का पालन अब तक नहीं होने को लेकर कॉन्स्टेबल ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है. कोरोना के कारण इस मामले की सुनवाई नहीं हो हो पा रही है.
पटना: प्रदेश के वरीय पुलिस पदाधिकारी हाइकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं और आदेश पालन कराने के लिए दायर याचिका पर हाइकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पा रही है. यह कहानी एक बिहार पुलिस के जवान की है, जिसने हाइकोर्ट में 2003 में अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका दायर की थी. हाइकोर्ट ने 19 अप्रैल, 2019 में याचिकाकर्ता को वेतन सहित सभी प्रकार की सुविधाएं देते हुए बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया था. हाइकोर्ट के आदेश का पालन अब तक नहीं होने को लेकर कॉन्स्टेबल ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है. कोरोना के कारण इस मामले की सुनवाई नहीं हो हो पा रही है.
हाइकोर्ट परिसर में ही आत्महत्या करने की ठानी
आर्थिक रूप से बेहद कमजोर सिपाही ने अब हाइकोर्ट परिसर में ही आत्महत्या करने की ठान ली है. यह पीड़ा छपरा के दाउदनगर में रहने वाले नाग नारायण राय की है. जिसने विज्ञापन के आधार पर 1989 में फॉर्म भरा और 19 जून 1990 को वह सफल भी घोषित हो गया. उच्च अधिकारियों ने 24 अप्रैल, 2003 को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया, बाद में 17 जुलाई, 2003 को नौकरी से भी हटा दिया.
बर्खास्तगी के आदेश के खिलाफ दायर की याचिका
अपनी बर्खास्तगी के आदेश के खिलाफ उसने हाइकोर्ट में याचिका दायर की. उसकी याचिका पर लंबे समय बाद सुनवाई हुई. आखिरकार हाइकोर्ट ने 19 अप्रैल, 2019 को याचिका को स्वीकार कर वरीय पुलिस पदाधिकारी से कहा कि कॉन्स्टेबल को अवैध तरीके से हटाया गया है, इसलिए कॉन्स्टेबल की जब से नियुक्ति हुई है, तब से उसे वेतन और अन्य सुविधाएं भी दी जाएं. लेकिन, अधिकारियों ने हाइकोर्ट की बात नहीं मानी. अपने मामले को लेकर भाग दौड़ कर रहे याचिकाकर्ता ने कहा कि वह बेहद निर्धन है. सिर्फ ढाई कट्ठा जमीन उनके हिस्से में आया था, उसमें से एक कट्ठा जमीन की भी बिक्री भी हो गयी. आठ सदस्यों के पूरे परिवार का पालन करना कठिन हो गया है.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya