बिहार में इंटरनेट पर ब्लैकमेलिंग एवं सेक्सटॉर्शन के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि के बीच बिहार पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये हासिल किए जाने वाले सिम कार्ड पर नकेल कसने का आदेश दिया है.
पुलिस ने टेलीकॉम कंपनियों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड प्राप्त करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त महानिदेशक नैयर हसनैन खान ने बताया कि बिहार में यौन शोषण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं.
बिहार पुलिस के आर्थिक और साइबर अपराध प्रभाग ने पिछले कुछ महीनों में इंटरनेट द्वारा ब्लैकमेलिंग के लगभग 15 मामले दर्ज किए हैं. एडीजीपी के अनुसार राजस्थान, दिल्ली, झारखंड और पश्चिम बंगाल में ऐसे कई गिरोह हैं, जो बिहार में अपने साथियों के मदद से व्हाट्सएप एवं दूसरे सोशल मीडिया पर वीडियो कॉल के जरिये लोगों को ब्लैकमेल कर उनसे पैसे ऐंठ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि यह अपराधी फर्जी दस्तावेज के आधार पर सिम कार्ड ले लेते हैं और इन कामों के लिए उसी का इस्तेमाल करते हैं. यही कारण है कि हमने टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों को फर्जी दस्तावेज के आधार पर सिम कार्ड जारी कराने वाले ग्राहकों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि हम लोग दिल्ली, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल की पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं, ताकि उन साइबर अपराधियों की पहचान की जा सके, जो उन राज्यों से ऐसी वारदात को अंजाम देते हैं.
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अधिकारियों ने बताया की ज्यादातर मामलों में साइबर अपराधी मुख्य रूप से फर्जी अकाउंट से व्हाट्सएप चैट के जरिये पुरुषों को निशाना बनाते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ संदेश भेजने के बाद गिरोह में शामिल एक महिला बातचीत के दौरान मिले नंबर पर संबंधित व्यक्ति को वीडियो कॉल करती है और कपड़े उतारना शुरू कर देती है.
अधिकारियों के मुताबिक इसके बाद महिला सबूत के तौर पर अपनी नग्न वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पीड़ित को भेजती है और ब्लैकमेल करना शुरू कर देती है. वो सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें अपलोड करने और इंटरनेट पर विडिओ लीक करने की धमकी देती है.